OBC Reservation: ओबीसी आरक्षण मामले में सरकार को एमपी हाई कोर्ट से झटका, अब हर दिन होगी मामले में सुनवाई
MP OBC Reservation: मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा फिर गर्मा गया है. दरअसल, करीब चार साल के बाद आरक्षण के मसले पर हाईकोर्ट में दोबारा सुनवाई शुरू हुई है.
MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने के मामले में अब हाईकोर्ट (High Court) ने बड़ा फैसला किया है. कोर्ट ने दो टूक कहा है कि ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर हर रोज सुनवाई होगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार की केस आगे बढ़ाने की मांग को भी नामंजूर कर दिया है.कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों के अंतिम फैसले का इंतजार नहीं कर सकते.
यहां बता दें कि पिछले चार वर्षों से लंबित आरक्षण के मामलों को लेकर मंगलवार को अंतिम सुनवाई शुरू हुई. जस्टिस शील नागू और जस्टिस डीडी बंसल की खंडपीठ ने कहा कि मामले के लंबित रहने के कारण प्रदेश भर में हजारों विद्यार्थी असमंजस में हैं. उनका भविष्य दांव पर लगा है.कोर्ट को हर रोज एक सैकड़ों से अधिक पत्र मिल रहे हैं. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष बर्नार्ड ने कहा कि समान मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है.इसलिए शीर्ष कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार करना चाहिए.सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में सॉलीसिटर जनरल पक्ष रखेंगे. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकरणों के अंतिम फैसले का इंतजार नहीं कर सकते.इसलिए अब यह मामला डे- टू-डे बेसिस पर सुना जाएगा.
66 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बनी विशेष बेंच
दरसअल, हाईकोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी के आरक्षण से जुड़ी करीब 66 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए विशेष बेंच बनाई है. इनमें से कुछ याचिकाएं ओबीसी को 27% आरक्षण के विरोध में दाखिल की गई हैं जबकि कुछ याचिकाएं समर्थन में दायर की गई हैं. आशिता दुबे और अन्य की ओर से सबसे पहले 2019 में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने कई मामलों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लगाई है,जो अभी लागू है.
सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट को दिए थे यह निर्देश
यहां बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2022 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को निर्देश दिए थे कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े प्रकरणों की जल्द सुनवाई कर फैसला दें. पिछली करीब 10 पेशियों से मामले की सुनवाई टल रही थी. मंगलवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में मराठा आरक्षण के मामले में भी कुल आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी ही निर्धारित की है.उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी मिलाकर कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो रहा है.
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