MP High Court Online Hearing: कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर के साथ इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ में आगामी सोमवार 10 जनवरी से वर्चुअल सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने गुरुवार की शाम को सभी पक्षों के साथ वर्चुअल मीटिंग करके यह निर्णय लिया. पिछले दिनों हाईकोर्ट व जिला अदालत में कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने से खतरा लगातार बढ़ता जा रहा था.
मामलों की फाइलिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा सकेगी
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर के सचिव मनीष तिवारी ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ की वर्चुअल मीटिंग में प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू, सीनियर जस्टिस सुजय पॉल, जस्टिस रोहित आर्या, जस्टिस विवेक रूसिया, महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन विजय चौधरी, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार के अध्यक्ष मनोज शर्मा व सचिव हरप्रीत रूपराह के अलावा इंदौर व ग्वालियर के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. सभी की सहमति से वर्चुअल सुनवाई का निर्णय हुआ. अब सोमवार से हाईकोर्ट की सुनवाई सिर्फ वर्चुअल तरीके से की जाएगी. अधिवक्ता मुकदमों की पैरवी ऑनलाइन या वर्चुअल तरीके से करेंगे जबकि मामलों की फाइलिंग ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा सकेगी. स्टेट बार काउंसिल के वॉइस चेयरमैन व जिला बार जबलपुर के अध्यक्ष आर के सिंह सैनी ने इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, पक्षकारों व कोर्ट कर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर अभी वर्चुअल सुनवाई जरूरी है.
अधीनस्थ अदालतों से जानकारी मांगी
कोरोना की ताजा स्थिति जानने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य की अधीनस्थ अदालतों के सिलसिले में रिपोर्ट तलब की है. राज्य की विभिन्न जिला अदालतों में सुनवाई का तरीका क्या रखा जाए, इसके बारे में सभी जगह से रिपोर्ट सामने आने के बाद समीक्षा की जाएगी और फिर आदेश जारी किया जाएगा.
कुछ अधिवक्ताओं ने कहा- हाईब्रिड हो सुनवाई
इधर, हाईकोर्ट के अधिवक्ता रविंद्र कुमार गुप्ता के नेतृत्व में अमरदीप सग्गू, आनंद चावला, मुकेश मिश्रा सहित एक सैकड़ा से अधिक वकीलों द्वारा हस्ताक्षरित एक मेमोरेंडम मुख्य न्यायाधीश को सौंपा गया. जिसके जरिए वर्चुअल व फिजिकल दोनों अर्थात हाईब्रिड सुनवाई की व्यवस्था करने की मांग की गई. इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट व जिला अदालतों में बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध किया जाना चाहिए. जिन मामलों में फिजिकल हियरिंग की पूर्व सहमति जताई गई है, वे भी फिजिकल ही सुने जाने चाहिए. जिस तरह कोविड संकट की शुरुआत के दौर में फाइलिंग काउंटर खोले गए थे, फिर से वैसे ही काउंटर खुलने चाहिए. कोर्ट परिसर में क्लर्क व टायपिस्ट आदि के लिए पास जारी होने चाहिए.
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