Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में एचआईवी (HIV)संक्रमित मरीजों की बेहतर जांच और इलाज के लिए सरकार ने लिया बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एआरटी सेंटर बनाना अनिवार्य होगा. बिना सेंटर ये कॉलेज डिग्री नहीं दे सकेंगे. मध्यप्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए अब उनमें एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट) सेंटर जरूरी होगा. बिना एआरटी सेंटर के कोई भी कॉलेज डिग्री नहीं दे सकेगा. कहा जा रहा है कि प्रदेश में एचआईवी एड्स से संक्रमित मरीजों की बेहतर जांच और इलाज के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है.
कितने सेंटर हैं
मध्य प्रदेश के 52 जिलों में अभी सिर्फ 12 एआरटी सेंटर ही हैं. इंदौर और भोपाल के दो सेंटर पर ही 22 हजार मरीज रजिस्टर्ड हैं. ऐसे में उन्हें सुविधाजनक उपचार देना मुश्किल होता है. एचआईवी संक्रमित मरीज जब पहली बार सेंटर पहुंचता है तो कई तरह की जांच होती है. काउंसिलिंग और कागजी कार्रवाई में लंबा समय लगता है.
18 नए सेंटर जल्द होंगे शुरू
मध्यप्रदेश एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना संचालक के डी त्रिपाठी के मुताबिक राजधानी भोपाल के जे के मेडिकल कॉलेज और इंदौर के एक अमलतास मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश भर में 18 नए एआरटी सेंटर जल्द ही शुरू हो जाएंगे. वहीं अन्य मेडिकल कॉलेज और नए खुलने वाले निजी मेडिकल कॉलेजों में एआरटी सेंटर खुलने से मरीजों को घर के पास ही जांच की सुविधा मिल जाएगी.
कितने मामले आते हैं
के डी त्रिपाठी के मुताबिक राज्य में हर साल करीब 4,000 लोगों में एचआईवी संक्रमण का पता चलता है. वहीं नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि ये आंकड़े डरावने हैं और प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.
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