Indore News: सामूहिक दुष्कर्म के मामले में तीन साल केस चलने के बाद न्यायालय ने मंगलवार को दो दोस्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. दोनों दोस्तों ने नाबालिग युवती को बहला फुसलाकर ओंकारेश्वर (Omkareshwar) ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया था.
दरअसल, इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र में वर्ष 2019 में हुए नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में दो आरोपियों को जिला न्यायालय ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने दोनों आरोपियों को नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाने और दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने का दोषी पाया.
परिजनों ने ये दर्ज कराई थी एफआईआर
जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि पूरा मामला इस प्रकार है. 15 फरवरी 2019 को पीड़िता के भाई ने अपने पिता के साथ थाना बाणगंगा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इसमें उन्होंने बताया था कि शाम को वह उसकी बहन के साथ कोचिंग पढ़ने गया था. कोचिंग खत्म होने पर अपनी बहन के साथ वापस घर आ रहा था. तभी दो लड़के रास्ते में मिले, जिनमें से एक को उसकी बहन पहचानती थी. वह बाइक चला रहा था. पीड़िता ने अपने भाई से बोला कि थोड़ी देर में आ जाएगी. अज्ञात आरोपी उसकी बहन को बहला फुसलाकर भगाकर ले गए. इस सूचना के आधार पर पीडिता की गुमशुदगी दर्ज की गई.
घटना के वक्त नाबालिग थी पीड़िता
उस समय पीड़िता नाबालिग थी. जांच के दौरान पीड़िता बड़वानी के मोरटक्का में पाई गई थी. यहां से नाबालिग को बरामद करने के बाद पूछताछ में उसने बताया कि आरोपियों ने उसे चाकू दिखाकर अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाकर ले गए थे और ओंकारेश्वर के एक गेस्ट हाउस में उसके साथ दोनों आरोपियों ने गलत काम किया. उसके बाद उसे नशा कराने की कोशिश करने लगे थे. तभी एक व्यक्ति ने उसकी मदद की और उसे मोरटक्का थाने पर छोड़ दिया था.
इन धाराओं के तहत मिली सजा
विवेचना के दौरान पीड़िता का मेडिकल करवाया गया, इस दौरान उसके साथ दष्कर्म की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 366, 376(3), 376-डी, 506 और धारा 5(जी)/ 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया. लगभग तीन साल चले केस के बाद न्यायालय ने आरोपी सुमित सोनी और प्रदीप यादव को आईपीसी की धारा 376-डी एवं 5जी सहपठित 6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं आईपीसी 366 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास और आईपीसी की धारा 363 के तहत 7 वर्ष का सश्रम कारावास के साथ 4000-4000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया. वहीं, पीड़ित बालिका को 100000 रुपये की प्रतिकर राशि दिलवाई जाने की अनुशंसा भी की गई है.