Madhya Pradesh CM: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सीएम के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया. जिन नेताओं के नाम सीएम की रेस में थे, उससे उलट पूर्व शिक्षा मंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) को राज्य की कमान सौंपी गई. उनके नाम कहीं चर्चा नहीं थी. मोहन यादव मध्य प्रदेश में बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है ताकि ओबीसी वोटरों (OBC Voters) के अपनी तरफ आकर्षित कर सके.
हिंदी प्रदेशों में जातिगत वोटों की भूमिका अहम रहती है. ऐसे में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में जहां विष्णु देव साय को सीएम बनाकर देशभर के अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को साधने की कोशिश की है जबकि मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान देकर ओबीसी वोटरों को संदेश देना चाह रही है. आंकड़ों में हिंदी प्रदेशों यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा की बात करें तो यहां ओबीसी मतदाता चुनाव की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
लालू और अखिलेश के वोटर्स में लगेगी सेंध!
यूपी में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 54 फीसदी है जबकि यादवों की संख्या 10 प्रतिशत है. वहीं, बिहार में 63.13 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं तो इनमें 14.26 फीसदी यादव वोटर हैं. मध्य प्रदेश में करीब 42 फीसदी ओबीसी वोटर हैं तो यादव वोटरों की संख्या 12 से 14 प्रतिशत है. वहीं, हरियाणा की बात करें तो यहां 28.3 फीसदी ओबीसी वोटर हैं जिनमें 10 फीसदी यादव हैं. बीजेपी मध्य प्रदेश में ओबीसी प्लस यादव चेहरे को सीएम घोषित कर उत्तर प्रदेश और बिहार में क्रमश: अखिलेश यादव और लालू यादव के वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश की है.
ओबीसी समाज को नहीं किया नाराज
उधर, मध्य प्रदेश के लंबे समय तक सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान को इस बार यह जिम्मेदारी नहीं दी लेकिन उन्होंने ओबीसी नेता को ही सीएम बनाया. बता दें कि शिवराज सिंह भी ओबीसी समाज से आते हैं. ऐसे में बीजेपी ने ओबीसी की नाराजगी भी मोल नहीं ली.
नेतृत्व में बदलाव कर दिया यह संदेश
उधर, बीजेपी ने नेतृत्व में पीढ़ी का बदलाव देखने को मिला और एक तरह से वह सेकेंड लाइन का नेतृत्व तैयार करती हुई दिख रही है. इसलिए जो नेता पहले कैबिनेट का हिस्सा थे उन्हें आगे लाकर सीएम बनाया गया है. चाहे छत्तीसगढ़ हो या फिर मध्य प्रदेश. मोहन यादव की बात करें तो वह संघ से जुड़े रहे हैं और राजनीतिक करियर की शुरुआत ही एबीवीपी से की है. जबकि शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहने के कारण उनके पास शासन का भी अनुभव है. कुल मिलाकर बीजेपी ने मिशन 2024 की तैयारी के तहत यह फैसला किया है.
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