Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए उज्जैन डिवीजन की 29 सीटों पर कब्जा जमाना हर पार्टियों के लिए बेहद आवश्यक है. नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव के परिणाम ने आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक नई लकीर खींच दी है. उल्लेखनीय है कि सभी चुनाव का अपना अलग-अलग महत्व होता है लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में मतदाता का रूख साफ कर दिया है. उज्जैन डिवीजन में नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार प्रदर्शन किया है. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कई स्थानों पर कांटे की टक्कर देखने को मिली है. हालांकि, व्यापक पैमाने पर देखा जाए तो बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है.
गौरतलब है कि उज्जैन डिवीजन में विधानसभा की 29 सीटें हैं. इनमें से साल 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद 17 सीट बीजेपी के खाते में आई थी. जबकि एक निर्दलीय सहित 12 सीट कांग्रेस को मिली थी. इसके बाद सत्ता परिवर्तन होने पर हरदीप सिंह डंग और मनोज चौधरी बीजेपी में शामिल होकर बीजेपी से विधायक बन गए. इसी तरह उपचुनाव में विपिन वानखेड़े ने जीत दर्ज कराते हुए कांग्रेस का संख्या बल एक और बढ़ा दिया. उज्जैन डिवीजन में वर्तमान में बीजेपी के पास 18 कांग्रेस के पास 11 सीटें हैं. वर्तमान चुनाव परिणाम को देखते हुए आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की राह आसान नहीं दिखाई दे रही है.
उज्जैन, रतलाम, देवास में बीजेपी के महापौर
उज्जैन, देवास और रतलाम में बीजेपी के महापौर जीते हैं जबकि तीनों स्थानों पर नगर निगम बीजेपी का बोर्ड भी बन गया है. ऐसी स्थिति में शहरी क्षेत्रों में बीजेपी का दबदबा बना हुआ है. इसके अलावा मंदसौर में भी बीजेपी ने 9 में से 6 नगर परिषद पर कब्जा जमा लिया है. शाजापर में भी बीजेपी का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है. हालांकि, आगर में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कुछ स्थानों पर कांटे की टक्कर देखने को मिली है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिकांश जनपद और जिला पंचायत बीजेपी की बनने जा रही है. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अधिक मेहनत करने की जरूरत है. जबकि बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले उज्जैन डिवीजन में भाजपा को भी पसीना बहाना पड़ेगा.
कब कौन बना 29 विधानसभा सीटों पर सिरमोर
एमपी में सरकार बनाने के लिए उज्जैन डिवीजन की 29 सीटों का काफी महत्व रहा है. वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 22, बीजेपी ने 6 और निर्दलीय एक सीट पर जीत हासिल की थी. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23, कांग्रेस ने 5 और निर्दलीय ने एक सीट पर कब्जा जमाया. विधानसभा चुनाव 2008 में बीजेपी ने 18 कांग्रेस ने 10 और निर्दलीय एक सीट पर जीत दर्ज कराई. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने 29 में से 28 सीट पर कब्जा जमाया, जबकि एक सीट कांग्रेस को मिली.