Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के कुटुंब कोर्ट के प्रधान जज केएन सिंह ने तलाक के एक मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पति को माता-पिता से अलग रहने विवश करने वाली पत्नी क्रूरता की दोषी है.लिहाजा, पति द्वारा प्रस्तुत तलाक की अर्जी मंजूर की जाती है. इस आदेश के साथ ही ग्राम मनकेड़ी, पुलिस थाना बरगी जबलपुर निवासी पति को कोर्ट से राहत मिल गई.


याचिकाकर्ता पति की ओर से अधिवक्ता संदेश दीक्षित ने अदालत में पक्ष रखते हुए बताया कि पत्नी ने अपने पति को वृद्ध माता-पिता से अलग रहने को विवश किया. इसलिए पति को तलाक की अर्जी दायर करने मजबूर होना पड़ा. पत्नी दो मई 2013 को विवाह के बाद से ही प्रताड़ित करने लगी थी. उसकी प्रताड़ना के कारण पति अपनी पत्नी के साथ दो वर्ष तक उसके मायके में रहने मजबूर हुआ. इस दौरान पति जब-जब माता-पिता की देखभाल करने ग्राम मनकेड़ी आता था, तब-तब पत्नी उसे रोकती थी और अपमानित करती थी.


पुत्र का नैतिक व विधिक दायित्व है
अदालत ने साफ किया कि वृद्ध माता-पिता की देखभाल करना पुत्र का नैतिक व विधिक दायित्व है. ऐसी स्थिति में पत्नी का परम धर्म व सामाजिक कर्तव्य है कि पति के साथ संयुक्त रहते हुए उसके वृद्ध माता- पिता की सेवा करे लेकिन सेवा तो दूर वह अपने पति को उसके वृद्ध माता-पिता से पृथक होकर स्वयं के साथ मायके जबलपुर में रहने के लिए दबाव बनाती है. इस तथ्य को लेकर विवाद भी करती है.


मानसिक क्रूरता की परिधि में आता है
हिंदू समाज में एक पुत्र से अपने वृद्ध माता-पिता के साथ रहकर उसकी देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है और एक पत्नी को बिना किसी कारण के पृथक रहने की अपेक्षा नहीं की जा सकती. ऐसी स्थिति में पत्नी द्वारा पति को उसके वृद्ध माता-पिता व परिवार से पृथक रहने के लिए विवश करना उचित नहीं है. पत्नी का यह आचरण पति के लिए मानसिक क्रूरता की परिधि में आता है.


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