MP News: जबलपुर में मध्य प्रदेश की पहली डेयरी स्टेट खुलने जा रही है. इसके लिए सरकार ने पूरी तैयारियां कर ली है और डेयरी संचालकों से आवेदन भी मंगाने शुरू कर दिए हैं. 50 एकड़ की इस डेयरी स्टेट में डेयरी संचालकों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इससे शहर में डेयरी से होने वाले प्रदूषण से भी राहत मिलेगी.


डेयरी संचालकों की दी जाएंगी खास सुविधाएं


मध्य प्रदेश राज्य पशुधन कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक डॉ एच पी भदौरिया ने बताया कि राज्य पशुधन, कुक्कुट विकास निगम द्वारा बरेला के ग्राम खमरिया में डेयरी स्टेट परियोजना को आकार दिया जा रहा है. करीब 10 करोड़ रुपए की रुपए की लागत से 50 एकड़ भूमि पर डेयरी स्टेट बनकर तैयार हो गया है. खास बात यह है कि इस डेयरी स्टेट में डेयरी संचालकों को वह तमाम तरह की सुविधाएं दी जाएंगी, जिनकी उन्हें जरूरत होगी. डेयरी स्टेट में सड़क, स्ट्रीट लाइट , 2 लाख लीटर पानी की व्यवस्था की गई है. यहां तक की डेयरी स्टेट में पशुओं के लिए दवा और इलाज की सुविधा भी मौजूद रहेगी.


कम दरों पर मुहैया कराई जाएगी जमीन


डेयरी संचालकों को आकर्षित करने के लिए विभाग ने बेहद कम दरों पर डेयरी के लिए जमीन मुहैया कराई है. इस डेयरी स्टेट की सबसे खास बात यह है कि यहां न केवल डेयरियों का संचालन किया जाएगा, बल्कि डेयरियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ का भी उपयोग किया जाएगा. इसके लिए एक गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया है जहां से निकलने वाली गैस के इस्तेमाल से बिजली बनाई जाएगी. यहां ऑर्गेनिक खाद को भी तैयार की जाएगी, जो किसानों को बेहद कम दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी.


जबलपुर में प्रतिदिन निकलता है इतना दूध


दरअसल जबलपुर की परियट, गौर और नर्मदा नदी के किनारे जो डेरियां संचालित हो रही हैं, उनसे नदियों में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस मुद्दे को हाईकोर्ट और फिर एनजीटी में चुनौती भी दी गई है. अदालतों ने आदेश दिया हैं कि डेयरियों को शहर के बाहर विस्थापित किया जाए. स्वाभाविक है कि डेयरी स्टेट बनने से जल्द ही शहर की तमाम डेयरियों को नदियों से दूर यहां विस्थापित कर दिया जाएगा. इससे नदियों का प्रदूषण भी कम होगा और डेयरी संचालकों को एक जगह पर तमाम सुविधाएं मिल जाएंगी.


बता दें कि दूध उत्पादन में मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है. जबलपुर में पांच हजार से अधिक शासकीय और प्राइवेट डेयरियों को मिलाकर करीब 4 लाख लीटर प्रतिदन दूध का उत्पादन होता है. इसमें से 1.75 लाख लीटर दूध बाहर निर्यात कर दिया जाता है.


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