Jabalpur News : केंद्रीय जेल में एक विचाराधीन दलित आदिवासी बंदी की मौत से जबलपुर में हड़कंप मचा हुआ है. तीन दिन पहले ही अवैध शराब बेचने के आरोप में पकड़े गए बंदी को तबियत खराब होने के बाद मेडिकल कालेज अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था. लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो गई. परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस की पिटाई से उसकी जान गई है. घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं.
गुरुवार को हुई थी मौत
पुलिस के मुताबिक गौर चौकी क्षेत्र से रविवार को मुकेश सिंह और सुनील सिंह आदिवासी को अवैध रूप से शराब बेचने के अपराध में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद दोनों को गौर चौकी लाया गया. आरोप है कि मुकेश को पूछताछ के बाद रिहा कर दिया लेकिन सुनील पर मामला दर्ज करने के बाद जेल भेज दिया गया. गुरुवार को सुनील की अचानक तबियत खराब हो गई जिसके बाद उसे मेडिकल अस्पताल ले जाया गया. लेकिन इलाज शुरू होने के पहले ही उसकी मौत हो गई.
परिजनों ने पुलिस पर लगाया आरोप
इस घटना के बाद परिजनों ने गौर तिराहे के पास मण्डला हाईवे पर मृतक का शव रखकर चकाजाम करने का प्रयास किया. परिजनों का आरोप है कि गौर चौकी के पुलिस स्टाफ ने मुकेश और सुनील दोनों को गिरफ्तार किया था. लेकिन मुकेश को 10 हजार रुपये लेकर छोड़ दिया. सुनील के पास से 4 लीटर शराब मिली और लेकिन उसे 7 लीटर बनाकर सुनील को फंसाया गया. इसके बाद उसके साथ पूछताछ के नाम पर उसे जमकर पीटा गया. मृतक की पत्नी सिया बाई का आरोप है कि उसके पति की जान पुलिस के पिटाई से मौत हुई है.
घटना की जांच शुरु
इस घटना से आदिवासी समुदाय और परिजनों में भारी आक्रोश है. एक ओर जहां परिजन गौर चौकी प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मियों पर मारपीट के आरोप लगा रहे हैं, वहीं चकाजाम की खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे पुलिस अफसर जांच के बाद उचित कार्यवाई का आश्वासन दे रहे थे. एडीशनल एसपी संजय अग्रवाल के मुताबिक घटना की जांच की जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की सही वजह का खुलासा हो सकेगा. मृतक के परिजनों ने मुआवजा की मांग भी की है.
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