सीहोर: कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को सरकारी मदद मिलनी शुरू हो गई है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान किया है. इस मुआवजे को हासिल करने के लिए संबंधित परिवार को मृतक का कोविड-19 मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, लाभार्थी के बैंक खाता संबंधी जानकारी सलंग्न करके आवेदन संबंधित जिला आपदा अधिकारी को देना होगा.
मृतक के परिजन दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर
बता दें कि कोरोना संक्रमण से जान गवाने वालों के परिजनों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश मध्य प्रदेश शासन ने बीते सप्ताह जारी किए थे. इसके बावजूद भी एक निश्चित कार्यालय आवेदन जमा करने के लिए तय नहीं हो पाया है, जिससे चलते मृतक के परिजन दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
उन्हें तहसील से कलेक्ट्रेट कार्यालय भेज दिया जाता है, वहीं जब वह कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपना आवेदन देते हैं तो यहां जिम्मेदार कर्मचारी आवेदन लेने से साफ इंकार कर रहे हैं. इस स्थिति में अब आवेदन करने वालों की फजीहत हो रही है. इतना ही कोई जिम्मेदार कलेक्ट्रेट कार्यालय में सीधे मुंह बात भी नहीं कर रहा है, जिससे बड़ी संख्या में मृतक के परिजन परेशान होकर भटक रहे हैं.
प्रशासन आवेदन जमा करने के लिए निश्चित जगह तय करे
जानकारी के अनुसार जिले में कोरोना के चलते कई लोग की मौत हुई है, जिनको 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने के निर्देश देने के बाद बड़ी संख्या में लोग तहसील व कलेक्ट्रेट कार्यालय आवेदन जमा करने पहुंच रहे हैं.
सोमवार को जब बड़ी संख्या में आवेदन लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, तो उनके आवेदन नहीं लिए गए. जबकि मप्र शासन से जारी आदेश में कलेक्ट्रेट कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. अब एसी स्थिति में मृतक के परिजन मांग कर रहे हैं कि प्रशासन एक जगह तय कर निश्चित अधिकारी-कर्मचारी को आवेदन को जमा करने का जिम्मा सौंपे, जिससे लोगों को भटना नहीं पड़े.
पीड़ितों ने बताया कि आवेदन को लेकर भटक रहे हैं
सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय सीहोर में कोरानअनुग्रह राशि के लिए आवेदन करने पहुंचे लाड़कुई निवासी सोनू शर्मा काफी देर परेशान होकर भटक रहे थे. उनका कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में उनके जवान भाई कमलेश शर्मा की कोविड से मौत हो गई थी. बीते एक सप्ताह से वह आवदेन लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. वहीं वह गुरुवार को भैरुंदा तहसील में आवेदन जमा करने गए थे, जहां बताया गया कि कलेक्ट्रेट कार्यालय में आवेदन जमा होगा. जब वह सोमवार को यहां पहुंचे तो कलेक्ट्रेट के कक्ष क्रमांक 15 में कर्मचारी ने उनका आवेदन लेने से साफ मना कर दिया.
वही राकेश मालवीय ग्राम झिरनिया अपने पिता के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां इनका भी कोरोना अनुग्रह का आवेदन नही लिया गया.राजेश का कहना है उनकी माता की कोरोना संक्रमण के दौरान मौत हो गई थी जिसका आवेदन प्रामाण पत्र के साथ जमा करवाने आए था लेकिन किसी भी अधिकारी ने आवेदन नही लिया. वही सीहोर एसडीएम बृजेश सक्सेना का कहना है कि कोरोना संक्रमण अनुग्रह राशि के आवेदन लिए जा रहे कुछ आवेदन के कैश पास भी हो गए हैं.
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