जबलपुर: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून की वापसी को कांग्रेस ने सियासी रंग दे देना शुरू कर दिया है. मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री तरुण भनोट और उमंग सिंघार ने जबलपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार 'मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं मेरी मर्जी' के तहत काम करती आ रही है. यही वजह है कि जब ये कृषि कानून बनाए जा रहे थे. तब कानून के संबंध में किसानों को विश्वास में नहीं लिया गया. पहले से पता था कि ये काले कानून हैं फिर भी इन्हें बनाकर लागू कर दिया गया. इसके खिलाफ जब विरोध शुरू हुआ तो अब तक सैंकड़ों किसानों की जान इस आंदोलन के दौरान चली गई.


'केंद्र सरकार में कोई संवेदना नहीं'


कांग्रेस नेता तरुण भनोट ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के मंत्री की गाड़ी से किसानों को कुचल दिया गया. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने तब इन कृषि कानूनों पर कोई फैसला नहीं लिया. उनका कहना है कि केंद्र सरकार में कोई संवेदना ही नहीं है. केवल मध्य प्रदेश और देश में हुए उप चुनाव के परिणामों से सरकार को ये बात समझ आ गई कि देश की जनता उनके साथ नहीं है. केंद्र सरकार ने कृषि कानून तो वापस ले लिए लेकिन किसानों के लिए एमएसपी पर कोई बात नहीं की.


'चुनाव के लिए वापस लिए कानून'


इसके साथ ही पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार ने भी कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. सिंघार का कहना है सरकार ने कानून तो वापस ले लिए लेकिन एमएसपी पर कोई गारंटी नहीं दी. कृषि कानून केवल इसलिए वापस लिए गए हैं क्योंकि मोदी सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव नजर आ रहे हैं. सिंगार ने आरोप लगाया कि सोची समझी राजनीति के तहत कृषि कानून वापस लिए गए हैं.


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