Sehore News: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिला अस्पताल से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. बता दें कि यहां पर शिशु गहन चिकित्सा इकाई में क्षमता से अधिक नवजात शिशु उपचार किया जा रहा है. यहां व्यवस्थाएं तो पर्याप्त है, लेकिन संसाधनों की कमी लंबे समय से बनी हुई है.


शिशुओं में है संक्रमण का खतरा


कहने को तो दो वेंटीलेटर हैं, लेकिन एक ज्यादातर वक्त समय खराब ही रहता है. इसलिए पूरी यूनिट एक वेंटीलेटर के भरोसे है. जबकि यहां पर जिले सहित अन्य तीन जिलों के नवजातों शिशुओं का उपचार होता है. ऐसे में लगातार वोर्न यूनिट पर दबाव बढ़ रहा है. कई बार शिशुओं की संख्या अधिक होने के कारण क्रेडल पर दो से तीन शिशुओं को रखना पड़ता है, जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है.


कई जिलों से उपचार के लिए आते हैं नवजात


ज्ञात हो कि सीहोर मुख्यालय पर स्थित एसएनसीयू में सीहोर जिले के साथ ही राजगढ़, शाजापुर, देवास तक से नवजात शिशु उपचार के लिए लाए जाते हैं, जिसके चलते यहां पर क्षमता से दोगुना शिशुओं को भर्ती करना पड़ता है. यहां पर कभी-कभी ऐसे हालात बनते हैं कि 20 क्रेडल पर 40 से 50 शिशुओं का उपचार होता है. वर्तमान में यहां पर चार सीपेक मशीन है, जो बच्चों को आक्सीजन देने के लिए यूज की जाती है. जोकि शिशुओं की संख्या के हिसाब से काफी कम हैं.


वहीं दूसरी ओर पूरी यूनिट सिर्फ एक वेंटीलेटर पर निर्भर है. क्योंकि एक अन्य वेंटीलेटर में तकनीकि खराबी अक्सर बनी रहती है. शिशुओं को हीट देने के लिए 30 वार्मर मशीनें हैं. हालांकि जिला अस्पताल की शिशु गहन चिकित्सा इकाई में चार शिशु रोग विशेषज्ञ, 20 नर्सिंग स्टाफ, 12 सहायक स्टाफ पदस्थ है. शिशुओं के लिए तीन कमरे बनाए गए हैं, जिसमें सेंट्रल इनवोर्न, आउटवोर्न, स्टेप डाउन है.


तीन साल से नहीं आया निरीक्षण दल


विभागीय कर्मचारियों की माने तो लंबे समय से यहां पर राज्य स्तरीय निरीक्षण दल नहीं आया है. स्थानीय अधिकारी समय-समय पर जांच करते हैं, लेकिन यूनिट में जो कमियां हैं उनकी जांच निरीक्षण दल खोज लेता था और समय रहते उन्हें दूर कर दिया जाता था. लेकिन दल न आने के कारण काफी तकनीकि कमियां बढ़ती जा रही हैं. हालांकि स्थानीय स्तर हर साल फाइर एनओसी, फाइर अलार्म, आक्सीजन लाइन, उपकरण आदि की जांच और मरम्मत कराई जाती है. यहां पिछले हिस्से में मुश्किल  हालत से निपटने के लिए एक्जिट गेट बनाया गया है, जिससे किसी अनहोनी से तत्काल निपटा जा सके.


केएमसी रूम में सुविधाओं की मांग


शिशु गहन चिकित्सा इकाई के केएमसी रूम की लंबे समय से मांग उठ रही है. क्योंकि यहां महिलाएं बच्चों को स्तनपान कराती हैं, जहां टीवी लगाने की मांग की जा रही है. जिससे नवजात के साथ मां का कैसा व्यवहार होना चाहिए उसके वीडियो चलते रहे, जिसमें खानपान, शिशु को गोद में लेन, स्तनपान कराने सहित अन्य जागरूकता की वीडियो होना चाहिए.


जल्द पूरे किए जाएंगे इंतजाम


मामले पर अस्पताल के सिविल सर्जन डा अशोक मांझी का कहना है कि, एसएनसीयू में पर्याप्त इंतजाम है. 15 दिन में पीआइसीयू भी तैयार हो जाएगा, वहीं वेंटीलेटर और अन्य उपकरण की भी व्यवस्था की जा रही है, ताकि अधिक से अधिक शिशुओं को उपचार मिल सके.


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