Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम जिले में पशुओं में लंपी वायरस का मामला देखा गया है. रतलाम कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि सेमलिया गांव के पांच पशुओं के 20 सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए थे. इनमें से दो पशुओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. लंपी वायरस की पुष्टि के बाद अब टीकाकरण की तैयारी शुरू कर दी गई है. लंपी वायरस से निजात दिलाने के लिए मवेशियों के लिए डेढ़ लाख डोज मंगवाए गए है. मवेशियों की जान बचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा रोगी कल्याण समिति के खर्च पर उपचार करवाया जा रहा है.


वहीं पशु विभाग को हाई अलर्ट पर रखा गया है. इसके अलावा शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है. अब मवेशियों का जिले के बाहर परिवहन नहीं हो सकेगा. लंपी वायरस के कारण ग्रामीण इलाकों में भी दहशत फैल गई है. ग्राम सेमलिया में पिछले दिनों कुछ मवेशियों के शरीर पर गठान बनने और रक्त प्रवाहित होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद पशु विभाग ने उनके सैंपल जांच के लिए भेजा था. हालांकि, पॉजिटिव रिपोर्ट आने से पहले ही मवेशियों का उपचार शुरू हो गया था. कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के मुताबिक 98% मवेशियों की रिकवरी हो रही है. 


पशुपालकों को दी सावधान रहने की सलाह
रतलाम के पशु विभाग के उप संचालक मनोज शर्मा ने बताया कि जिले में दो मवेशियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. लंपी वायरस की पुष्टि के बाद पशुपालकों को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी गई है. जिले में 70 मवेशी संदिग्ध है. पशु पालकों से अपील की गई है कि वे मवेशियों को दूर-दूर रखें तथा खाने की सामग्रियां भी अलग-अलग वितरित करें. इसके अतिरिक्त पीने के पानी को लेकर भी मवेशियों के लिए इंतजाम करने के निर्देश जारी किए गए. लंपी वायरस मवेशियों में मच्छर के काटने और एक ही स्थान पर पानी पीने अथवा लार के जरिए फैल रहा है. पशु मालिकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे बीमार मवेशी के पास जाने से पहले पीपीई किट का इस्तेमाल भी करें.


संक्रामक बीमारी है लंपी, तेजी से फैलती है
सामान्यतः पशुओं (Cattles) में होने वाली लंपी स्किन डिजीज (Lumpi Skin Disease) एक संक्रामक बीमारी (Infactive Disease) है. ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैलती है. इसके वाहक मच्छर (Mosquito), मक्खी(Fly) , जूं (louse) इत्यादि हैं. इन परजीवियों (Parasites) के काटने के बाद जब वो दूसरे जानवरों को काटते हैं तो उनके खून से वायरस (Virus) दूसरे जानवरों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ये बीमारी सीधे संपर्क में आने से भी फैलती है इसके अलाव ये बीमारी दूषित भोजन से भी जानवरों में फैलती है. इस बीमारी से पशुओं में तमाम लक्षण दिखाई देने के साथ ही उनकी मृत्यु होने का भय भी बना रहता है. 





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