Madhya Pradesh Chief Minister: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद पिछले एक हफ्ते से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहे सस्पेंस पर कल विराम लग गया. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों की हुई बैठक में उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव (Mohan Yadav) को मध्य प्रदेश का नया सीएम चुना गया. सीएम का ताज मिलते ही मोहन यादव के नाम की चर्चा प्रदेश भर में जोर शोर से हो रही है, लेकिन इससे पहले भी शिक्षा मंत्री रहते हुए मोहन यादव ने भगवान राम को लेकर कई ऐसे फैसले लिए जिसकी वजह से उनका नाम प्रदेश की राजनीति में सुर्खियों में रहा.   


पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए मोहन यादव ने भगवान राम से जुड़े ऐसे कई बड़े फैसले लिए, जिसकी चर्चा एक बार फिर उनके सीएम बनते ही शुरू हो गई है. शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव ने 'रामचरितमानस' को ग्रेजुएशन स्टूडेंट्स के लिए दर्शनशास्त्र में ऑप्शनल चैप्टर के रूप में शामिल किया था. साथ ही "राम सेतु की मिरकल इंजीनियरिंग" और राम राज्य के आदर्शों को भी सिलेबस में शामिल किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कॉलेजों में रामचरितमानस, योग और ध्यान सिखाया जाएगा.


रामायण-गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने की वकालत की
इस दौरान उनका कहना था कि मध्य प्रदेश के कॉलेजों में हिंदू धर्म ग्रंथों रामायण-गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इसको लेकर यादव ने तर्क भी दिया कि जब हमारी न्याय व्यवस्था में धार्मिक ग्रंथों का एक खास महत्व है तो हमारा फर्ज है कि हम इन पुस्तकों और धार्मिक ग्रंथों के बारे में जानें कि आखिरकार इसमें क्या है? उन्होंने जोर दिया था कि पाठ्यक्रमों में भगवद गीता समेत रामायण को भी शामिल किया जाएगा. वहीं कुछ समय बाद जानकारों ने भी यह माना कि उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए 2021 में उठाए गए मोहन यादव के ये कदम युवाओं में "वैल्यू एंड बैलेंस लीडरशिप" को डेवलप करने का एक बेहतर प्रयास है. 


यादव 2020 में इसलिए आए थे सुर्खियों में
वहीं अगर एमपी के नए सीएम मोहन यादव की छवि की बात करें तो इसपर कोई दाग नहीं रहा है, लेकिन अपनी असंयमित भाषा की वजह से वह कई बार सुर्खियों में रहे हैं. 2020 के उपचुनाव में चुनाव आयोग ने मोहन यादव के चुनाव प्रचार पर एक दिन का प्रतिबंध लगा दिया था. चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई चुनावी सभाओं में अभद्र भाषा के इस्तेमाल की वजह से की थी. चुनाव आयोग द्वारा इस तरह का प्रतिबंध लगाए जाने का मतलब होता है कि नेता सभा, रैली, रोड शो आदि नहीं कर सकता, न ही कोई इंटरव्यू या भाषण दे सकता है. अब उनके विरोधी सीएम बनाए जाने की घोषणा होने के बाद यह बयान सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे.  


मोहन यादव का राजनीतिक सफर
मोहन यादव कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में हैं. 1984 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में उज्जैन के नगर मंत्री हुआ करते थे और सात साल बाद ही (1991-92) में राष्ट्रीय मंत्री बन गए थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी उनका पुराना नाता है. 1993 में वह आरएसएस के उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह थे. उन्होंने विधायक से मुख्यमंत्री का सफर भी केवल दस साल में ही पूरा कर लिया. 2013 के चुनाव में वह पहली बार विधायक बने थे. 2018 में भी जीते और जुलाई, 2020 में शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया. इसके तीन साल बाद ही वह शिवराज की जगह मुख्यमंत्री चुन लिए गए.



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