MP News: मध्य प्रदेश में लागू होगी नई आबकारी नीति, शराब दुकानों की नीलामी से खत्म किया जाएगा मोनोपॉली सिस्टम
मध्य प्रदेश में जल्द ही नई आबकारी नीति लागू की जाएगी. इसके बाद शराब के ठेकों को लेकर बड़े ठेकेदारों की मोनोपॉली सिस्टम को पूरी तरह खत्म करने की कवायद भी शुरू हो जाएगी.
भोपाल: मध्य प्रदेश में शराब के ठेकों को लेकर बड़े ठेकेदारों की मोनोपॉली सिस्टम को खत्म करने की कोशिश के तहत 3 साल बाद मध्य प्रदेश सरकार नई आबकारी नीति लागू करने की तैयारी कर रही है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग जिले में सिंगल ग्रुप सिस्टम के स्थान पर अब से दो से तीन दुकान के छोटे समूह में शराब दुकानें नीलाम करेगा. ऐसा करने से छोटे बजट वाले ठेकेदार भी शराब दुकानें ले सकेंगे. इसके अलावा जहरीली शराब से मौतों को रोकने के लिए शराब की कीमतों को नियंत्रित करने पर भी विचार किया जा रहा है.
आबकारी नीति में नई शराब दुकानों के प्रस्ताव को भी किया जाएगा शामिल
आबकारी नीति में प्रदेश में नई शराब दुकानों के प्रस्ताव भी शामिल किए जाने की तैयारी है. इसके अलावा महंगी शराब की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी कम करने से लेकर ठेकेदारों का मार्जिन तक कम करने की तैयारी है. गौरतलब है कि प्रदेश में बीते 1 साल में अवैध शराब से मौतों की संख्या बढ़ी है. आगामी वित्तिय वर्ष में अप्रैल 2022 से नई आबकारी नीति लागू होगी. इसके पहले आबकारी नीति में बदलाव के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस पर चर्चा के लिए 16 दिसंबर को आबकारी विभाग की बैठक होगी जिसमें प्रस्ताव को फाइनल किया जाएगा.
प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है
बता दें कि प्रदेश में फिलहाल 2544 देशी, 1061 विदेशी शराब दुकान है. इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है. इसकी वजह ग्रामीण इलाकों में बहुत दूरी पर दुकान होना है. दुकान कम होने से गांव में अवैध शराब खरीदी जाती है हालांकि इस पर फैसला सीएम स्तर पर ही होगा.
वर्तमान में प्रदेश में 2019 की आबकारी नीति लागू है
गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में 2019 की आबकारी नीति लागू है इसमें शराब दुकानें सिंगल ग्रुप सिस्टम में 1 जिले में एक ग्रुप के पास है. इसकी वजह से शराब ठेकेदारों में आपसी प्रतिस्पर्धा नहीं है. दो से तीन दुकानों के छोटे ग्रुप में शराब दुकान ठेके होने से कीमतों पर अंकुश रहेगा.
वहीं प्रदेश में एक्साइज ड्यूटी ज्यादा होने के साथ ही नियमों में विसंगति है. इसलिए ठेकेदार ड्यूटी पटाने के बाद माल नहीं उठाते हैं इससे एक हजार करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान संभावित है. नीति में एक्साइज ड्यूटी कम करने का भी प्रस्ताव है ताकि इस विसंगति को दूर किया जा सके.
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