Bhopal: भोपाल में जया किशोरी करेगी कथा वाचन, फिल्मों में सनातन धर्म का मजाक उड़ाने को लेकर कही ये बात
MP News: भोपाल के भेल दशहरा मैदान में आज से कथा वाचक जया किशोरी भागवत कथा की शुरूआत करेगी. वहीं जया किशोरी ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही कथा में ले जाएंगे तो वे अपने आप धर्म से जुड़ जाएंगे.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय भागवत कथा वाचक जया किशोरी की कथा होने जा रही है. कथा आयोजन आज रविवार से भोपाल के भेल दशहरा मैदान में होगी. आयोजन को लेकर एक दिन पहले कथा वाचक जया किशोरी ने मीडिया से बात की. कथा वाचक जया किशोरी ने कहा कि समाज में समारात्मक बदलाव युवा ही ला सकते हैं. आधुनिक व डिजिटल समय में बच्चों को आत्यात्मिकता से जोड़ने की जरुरत है. बच्चे तो मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें आध्यात्मक से जोड़ने की जिम्मेदारी हमारी है. मीडिया से बातचीत के दौरान कथा वाचक जया किशोरी ने इन सवालों के जवाब भी दिए.
सवाल: आज फिल्मों में सनातन धर्म का मजाक उड़ाया जा रहा है.
जवाब: ईश्वर का मजाक उड़ाना बिल्कुल गलत है. कई ऐसे लोग है, जो अपने भगवान का मजाक उड़ाते हैं. उसी को देखते हुए फिल्में बनती है, जब हम ईश्वर से जुड़ेंगे, नई पीढ़ी को आध्यात्मिक से जोड़ेंगे तो ईश्वर का मजाक उड़ाने वाली फिल्में बननी ही बंद हो जाएगी.
सवाल: कथा में बच्चे व युवाओं की कमी रहती है.
जवाब: यह सही है कि कथा में बच्चों व युवाओं की कमी रहती है. यह घर के माहौल से होता है. हम बच्चों को हाथों में मोबाइल थमा रहे हैं. बच्चों को आध्यात्म से जोड़ने की जरुरत है. बच्चों को बचपन से ही कथा में ले जाएंगे तो वे अपने आप धर्म से जुड़ जाएंगे.
सवाल: जया शर्मा से जया किशोरी बनने का श्रेय किसे देंगी.
जवाब: मेरे घर में मैंने शुरु से ही अत्यात्म का माहौल देखा है. परिवार में बचपन से ही मुझे भगवान के बारे में बताया गया. भगवान के बारे में मैंने अपने परिजनों से जो सुना उसे भीड़ में सुना दिया. लोगों को अच्छा लगा तो उन्होंने जया शर्मा से जया किशोरी नाम दे दिया.
सवाल: कथा वाचकों में प्रतिस्पर्धा है?
जवाब: मुझे बिल्कुल नहीं लगता जो मेरा जैसा काम कर रहे हैं, वो आपके साथी हुए. जैसी मेरी कथा भोपाल में है तो उसी समय किसी और शहर में नहीं हो सकती. दूसरे शहर में कोई और मेरे जैसा सामाजिक बदलाव का काम कर रहा है. दोनों काम एक जैसा कर रहे हैं तो फिर प्रतिस्पर्धा कैसी. मैं कथा वाचकों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं मानती, यह भलाई का काम है.