MP News: इंदौर को छोड़कर मध्यप्रदेश के बाकी शहर राष्ट्रीय स्वच्छता रैकिंग में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. शहरों को स्वच्छ नहीं रख पाने के पीछे की वजह नगरपालिका और नगर पंचायतों के सीएमओ का कम पढ़ा लिखा होना है. मध्यप्रदेश की 16 नगरीय निकायों के सीएमओ की योग्यता आठवीं और 12वीं तक की है. छह सीएमओ के पास पांच साल से कम समय का अनुभव है. कुल मिलाकर आधा दर्जन सीएमओ अनुभवहीन हैं. बता दें कि मध्यप्रदेश के कम पढ़े लिखे होने का खुलासा लिपिक वर्ग संगठन की शिकायत से हुआ है.


आपका शहर क्यों नहीं है साफ-सुथरा?


लिपिक वर्ग संगठन ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह से शिकायत की थी. लिपिक वर्ग संगठन को बताया गया कि ग श्रेणी की नगर परिषद में सीएमओ बनने की योग्यता स्नातक होने के साथ पांच वर्षों तक आरआई या एआरआई पद पर सेवा देने का अनुभव होना चाहिए. नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए 16 सीएमओ में आठवीं और महज 12वीं पास हैं. लिपिक वर्ग संगठन ने बताया कि प्रदेश की 397 नगरीय निकायों के 22 सीएमओ में से 16 आठवीं और 12वीं पास हैं. प्रदेश की छह नगरीय निकायों में छह सीएमओ अनुभवहीन हैं. काम करने का अनुभव पांच साल से कम समय का है. मध्यप्रदेश की श्यामगढ़ नगर पंचायत के सीएमओ महज 11वीं पास हैं.


सीएमओ की जानिए योग्यता और अनुभव


घुवारा के सीएमओ सुंदरलाल सोनी 12वीं पास, बक्सवाह के सीएमओ प्रभुदयाल पाठक 12वीं पास, कारी के सीएमओ अशोक कुमार साहू 12वीं पास, बिजावर के सीएमओ रामस्वरूप पटेरिया 12वीं पास, सलावर के सीएमओ बलराम भूरे 12वीं पास, मुंदी के सीएमओ भारत सिंह टांक 12वीं पास, सांवेर के सीएमओ संजय रावल 12वीं पास, कुंडलेश्वर के सीएमओ प्रवीण सेन 12वीं पास, गुनोर के सीएमओ मिथलेश द्विवेदी 12वीं पास, माकड़ोन के सीएमओ महेन्द्र कुमार शर्मा 11वीं पास, ताल के सीएमओ कन्हैयालाल सूर्यवंशी 10वीं पास, महिदपुर के सीएमओ कैलाशचंद वर्मा 10वीं पास, बनगवां के सीएमओ राजेन्द्र कुशवाह 11वीं पास, सुसनेर के सीएमओ जगदीश भैरवे महज 11वीं पास, सोहागपुर के सीएमओ दीपक कुमार रानवे महज 8वीं पास हैं. नगरीय प्रशासन विभाग के कमिश्रर भरत यादव का तर्क है कि कैडर के आधार पर खाली पदों पर सीएमओ का प्रभार दिया जाता है.


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