मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दिया है. यह व्यवस्था गुरुवार से लागू हो गई. इसके बाद से एडीजी या आईजी रैंक के एक पुलिस अधिकारी को इन शहरों का पुलिस आयुक्त होगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस साल नवंबर में कहा था कि इंदौर और भोपाल में पुलिस की कमिश्नरी व्यवस्था लागू की जाएगी. आइए जानते हैं कि इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद इन शहरों में पुलिस और प्रशासन के अधिकारों में क्या बदलाव आएगा.
डीएम और पुलिस कमिश्नर के अधिकार में क्या होगा बदलाव
इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद पुलिस कमिश्नर और जिला कलेक्टर या डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (डीएम) के अधिकारों में कुछ फेरबदल होगा. इन जिलों के कलेक्टर पहले की ही तरह डीएम बने रहेंगे. सरकार ने कुछ धाराएं पुलिस कमिश्नर के साथ साझा की हैं. अब किसी को जिला बदर करने के काम पुलिस करेगी. लेकिन किसी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने के मामले पुलिस के जरिए कलेक्टर के पास ही जाएंगे.
रैली-जुलूस निकालने और सार्वजनिक कथा कराने की मंजूरी अब संबंधित थाना देगा. इसके लिए अब एसडीएम मंजूरी नहीं देंगे. पहले पुलिस की रिपोर्ट पर एसडीएम इनके आयोजन की मंजूरी देते थे.
धारा 145 के तहत जमीन, पानी के विवाद से जुड़े मामले प्रशासन के पास ही रहेंगे. इसमें पुलिस कमिश्नर को अधिकार नहीं है. ये मामले प्रशासन ही देखेगा. माफिया के खिलाफ अभियान प्रशासन ही चलाएगा. वहीं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 133 के तहत अधिकार एसडीएम के पास ही रहेंगे. वह इन मौकों पर मौजूद रहेंगे.
कौन जारी करेगा हथियार और बार के लाइसेंस
वहीं जहां तक हथियारों के लाइसेंस बनाने की बात है, यह अधिकार पहले की ही तरह कलेक्टर के पास ही रहेंगे. इसी तरह आबकारी अधिनियम के तहत पब और रेस्त्रां की मंजूरी जिले के कलेक्टर ही देंगे.
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र के मुताबिक पुलिस कमिश्नरी की नई व्यवस्था में भोपाल में एक पुलिस कमिश्नर के अलावा दो एडिशनल कमिश्नर, 8 डिप्टी कमिश्नर, 10 एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर, 33 असिस्टेंट कमिश्नर और एक सुपरीटेंडेट ऑफ रूरल पुलिस तैनात किए जाएंगे. वहीं इंदौर में एक पुलिस कमिश्नर, दो एडिशनल कमिश्नर, 8 डिप्टी कमिश्नर, 12 एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर, 30 असिस्टेंट कमिश्नर और एक सुपरीटेंडेट ऑफ रूरल पुलिस तैनात किए जाएंगे.