Primary Teacher Recruitment: मध्यप्रदेश की नौकरी से जुड़ी एक और परीक्षा कानूनी दांव-पेंच में उलझ गई है. हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में हुई प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के तहत होने वाली नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है. डीएलएड (Diploma in Elementry Education) के छात्रों की याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव, एनसीटीई चेयरमैन, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण, आदिवासी कल्याण विभाग (शिक्षण) के आयुक्त और व्यावसायिक परीक्षा मंडल के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.


प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारकों भी माना गया पात्र


डीएलएड छात्र विपिन द्विवेदी, नीलेश द्विवेदी व अन्य ने याचिका दायर कर एनसीटीई (National Council for Teacher Education) द्वारा 26 अगस्त 2018 की उस अधिसूचना को चुनौती दी है जिसके तहत प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारकों भी पात्र माना गया है. उनके लिए यह शर्त रखी गई है नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर ऐसे शिक्षकों को एक ब्रिज कोर्स करना होगा. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 के तहत नियुक्ति के लिए काउंसलिंग जारी है. इसमें बीएड डिग्री वालों को भी नियुक्ति दी जा रही है, जबकि अभी तक एनसीटीई ने ब्रिज कोर्स का सिलेबस भी निर्धारित नहीं किया है .


B.Ed डिग्री धारकों को नियुक्ति देकर मारा जाता है D El Ed डिग्री धारियों का हक


कोर्ट में दलील दी गई  कि ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाती है तो 6 वर्ष से 14 वर्ष के छात्रों के मौलिक अधिकारों को उल्लंघन होगा. शिक्षा के अधिकार के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए डीएलएड डिग्रीधारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि बीएड डिग्रीधारकों को उच्च कक्षा में अध्यापन कार्य का प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड वालों को नियुक्ति देने से डीएलएड डिग्रीधारियों का हक मारा जाता है. रामेश्वर यादव ने यह तर्क भी दिया कि हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व हिमाचल हाईकोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों की प्राथमिक शिक्षकों के रूप में की गई को निरस्त किया है.


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