Madhya Pradesh News: टाइगर स्टेट का रुतबा रखने वाले मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) में बाघों की सुरक्षा के लिए कर्नाटक से 15 हाथी लाए जाएंगे. कर्नाटक के बंदीपुर टाइगर रिजर्व रामपुर हाथी कैंप से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम चार हाथियों को लेकर मंगलवार को मध्य प्रदेश के लिए रवाना हुई. ये चार हाथी 16 सौ किमी का सफर तय कर तीन दिसंबर तक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंचने की संभावना है. आगे के चरणों में बाकी के हाथी भी पेंच टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व लाए जाएंगे.
चीतों के बाद अब आ रहे हैं हाथी
नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के बाद पहली बार मध्य प्रदेश के किसी अभ्यारण्य में जानवर लाए जा रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था.
दरअसल,सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम ने रामपुर हाथी कैंप से मध्य प्रदेश लाने के लिए चार हाथियों को चुना है. इनमें दो नर हाथी और दो मादा हाथी हैं. मध्य प्रदेश लाए जा रहे इन हाथियों का नाम कृष्णा, गजा, मारिसा, पूजा है. इन हाथियों को मेडिकल सुरक्षा सहित ट्रक में लेकर टीम मध्य प्रदेश के लिए निकली है. जानकारी के मुताबिक एक दिन में सिर्फ 300 से 350 किमी तक का ही रास्ता तय किया जाएगा. रास्ते में जंगल और नेशनल पार्क कोर एरिया में हाथियों को रात में रोका जाएगा, जहां उनके लिए पूरी व्यवस्था की गई है.
क्यों खास हैं ये हाथी
इन हाथियों को रास्ते में खाने के लिए नारियल, गन्ना, चावल, खरबूजा आदि दिए जाएंगे. वहीं हाथियों के ट्रक के साथ डॉक्टरों की एक पूरी टीम भी चल रही है. यह टीम हाथियों के स्वास्थ्य़ पर नजर रखे हुए हैं. दरअसल, कर्नाटक के मैसूर के नागरहोल टाइगर रिजर्व में एशियाई हाथी होते हैं और इन हाथियों को घने जंगल में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए बेस्ट माना जाता है. एशियाई हाथी रात में ज्यादा सक्रिय होते हैं, जिससे इनका बेहतर उपयोग हो पाता है. कर्नाटक के बंदीपुर से आए हाथियों को पहले मटकुली के जंगल में बने अजनाढ़ाना कैंप में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. इसके बाद डॉक्टर के परमिशन के बाद इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा.