अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चौथे, आठवें या 12वें स्थान पर मंगल विराजमान हो तो यह कुंडली पूरी तरह मांगलिक होती है. मंगल दोष किसी भी मांगलिक कार्य में बाधा पैदा करती है. यही वजह है कि मांगलिक कुंडली वाले लोगों को सबसे पहले मंगल दोष दूर करने की सलाह दी जाती है.  यह मंगल दोष मंगल के उत्पत्ति स्थान मंगलनाथ से दूर होता है. धार्मिक नगरी उज्जैन केवल भगवान महाकालेश्वर मंदिर के कारण ही नहीं बल्कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति स्थान मंगलनाथ के कारण भी विश्व प्रसिद्ध है.


यहां पूजा करने से मंगल दाेष से मिलती है मुक्ति


मंगलनाथ मंदिर को एकमात्र ऐसा स्थान बताया गया है, जहां पर दर्शन करने मात्र से मंगल दोष से काफी हद तक मुक्ति मिल जाती है. मंगलनाथ मंदिर के पुजारी दीप्तेश गुरु के मुताबिक देशभर के श्रद्धालु मंगल दोष दूर करने के लिए मंगलनाथ मंदिर आते हैं.  उन्होंने बताया कि कुंडली में मंगल चौथे, आठवें या बारहवें स्थान पर होने की वजह से कुंडली मांगलिक हो जाती है. 
ऐसी स्थिति में अमंगल दूर करने के लिए मंगलनाथ भगवान की पूजा बेहद कारगर साबित होती है. उन्होंने बताया कि मंगल भूमि पुत्र होने की वजह से संपत्तियों के भी स्वामी हैं. अगर किसी को न्यायालय, वाद-विवाद, रक्त, पारिवारिक कलह, संतान आदि संबंधी परेशानियां हो तो वह भी मंगल की आराधना से दूर हो जाती है. 


 ग्रहों की शांति के लिए पूजा


पंडित दीप्तेश गुरु ने बताया कि मंगलनाथ मंदिर में कुंडलियां बनाकर पूजा कराई जाती है. मंगलनाथ मंदिर में शांति के लिए पूजा भी विशेष महत्व रखती है. यहां पर की गई पूजा फलित होती और आपके रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं. मंगलनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भात पूजा का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर चारों ओर से भात लगा कर शिव की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि हलाहल ग्रहण करने वाले शिव की गर्मी दूर करने के लिए भात का लेपन कर शिवलिंग की पूजा की जाती है, इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मनवांछित फल देते हैं. उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग के रूप में ही होती है.


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