Sehore News: सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh News) दिव्यांगों के यूनिवर्सल कार्ड को अनिवार्य करने जा रही है. इसके बिना किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा. यह भी एक कारण है कि केंद्र ने अपनी योजनाओं में बिना आईडेंटिफाई दिव्यांग के लिए कोई मदद नहीं देना तय किया है. केंद्रीय मंत्रालय ने हर व्यक्ति का डिजिटल रिकार्ड बनाने और उसे मेन सर्वर पर अपलोड करने कहा है इससे हर व्यक्ति हर दिव्यांग सीधे केद्रीय स्तर से भी ट्रेस हो जाएगा. इससे पारदर्शिता आएगी.


मध्यप्रदेश सरकार ने 2011 की जनगणना के मुताबिक 15 लाख दिव्यांग के सरकार ने रजिस्ट्रेशन किया तो 6 लाख ही ट्रेस हो पाए. 5 साल से कई बार बाकी आबादी को ट्रेस करने की कोशिश की. लेकिन दिव्यांगों ने रजिस्टेशन नहीं कराए. इन छह लाख में 5 लाख दिव्यांग के ही यूनिवर्सल आईडी कार्ड बने. 6 साल पहले इन कार्ड को बनाने की शुरुआत की गई थी. अब मध्य प्रदेश सरकार ने फिर से उन्हें ट्रेस कर कार्ड बनाने की मशक्कत शुरू की है. यूनिवर्सल कार्ड से अछूते बाकि 1 लाख दिव्यांगों को भी जल्द जौड़ने को कहा गया है.


दिव्यांग आबादी को ढूंढने में सरकार की कोशिशें नाकाम


गौरतलब है कि  मध्य प्रदेश में दिव्यांग आबादी को ढूंढने में सरकार की कोशिशों से लेकर हाईटेक जतन फेल हो गए.  4 साल में सरकार करीब 9 लाख दिव्यांग को नहीं ढूंढ सकी. सरकारी रिकॉर्ड से अब भी ये दिव्यांग अधिकांश गायब है. इतनी बड़ी आबादी जनगणना में तो ट्रेस हुई लेकिन सरकारी सुविधाएं लेने वे रजिस्ट्रेशन कराने नहीं आए. सरकार ने योजनाओं का लाभ देने के लिए उनके रजिस्ट्रेशन के कई प्रयास किए पर हालत नहीं बदले.


यूनिवर्सल आईडी बनाने  का कार्य रहा असफल


हाईटेक तकनीक का प्रयोग करके उनकी यूनिवर्सल आईडी बनाने की कवायद भी सफल नहीं हो पाई. सामाजिक न्याय विभाग ने बताया कि दिव्यांगों के रजिस्ट्रेशन ना होने के पीछे सबसे बड़ी परेशानी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने में होने वाली परेशानी 'स्पर्श पोर्टल' पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. इसमें आंशिक दिव्यांगता वालों को ज्यादा दिक्कत होती है. आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई देती है.


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