MP Panchayat Election:  मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच एक अनोखी खबर सामने आई है. सीहोर जिले की छापकीकला के गांववालों ने अपने स्तर पर ही सरपंच चुन लिया है. सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया बिना ही यहां सरपंच का चुनाव हो गया. जानकारी के मुताबिक यहां ग्रामीण एकत्रित हुए, 4 नाम सामने आए और हनुमान मंदिर में कन्या से पर्ची उठाकर एक व्यक्ति को सरपंच चुन लिया गया.


चुनावी खर्च को बचाने के लिए अपनाई अनूठी प्रक्रिया


गौरतलब है कि सीहोर जिले की ग्राम पंचायत छापरी कला व छापरी खुर्द की 15 सौ की आबादी है, जिसमें दोनो गांव को मिलाकर एक हजार मतदाता हैं. इनमें करीब 11 सौ मेवाड़ा समाज व 4 सौ अन्य समाज के लोग पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं. मेवाड़ा बाहुल्य ग्राम पंचायत होने के कारण हर बार पंचायत चुनाव में विवाद की स्थिति बनती आई है. कई सालों से चुनावी रंजिश भी चली आ रही है, जिससे समाजजनों में मनमुटाव भी है, वहीं चुनाव के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं. इसको देखते हुए ग्राम चंदेरी के समाजसेवी एमएस मेवाड़ा व युवा संगठन ने पहल की. आपसी रंजिश मिटाने के लिए सभी ग्रामीणों को बुलाकर बैठक की, जिसमें सरपंच का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की चार लोगों की उम्मीदवारी तय हुई. इन चारों से मंदिर विकास के लिए 11-11 हजार रुपये जमा कराए गए.




सात साल की बच्ची से पर्ची उठवाकर चुना गया सरपंच


 वहीं चुनावी खर्च का आंकलन 4 लाख 20 हजार तय कर चारों प्रत्याशी की चयन प्रक्रिया शुरू की गई. इस दौरान सात वर्षीय कन्या से एक पर्ची उठवाई गई, जिसमें चंदर सिंह मेवाड़ा का नाम आया और इस तरह निर्विरोध सरंपच का चयन ग्रामीणों की सहमति हो गया. वहीं सोमवार तक 4 लाख 9 हजार रुपये और जमा कराने की बात कही गई. यदि समय पर पैसे जमा नहीं किए गए तो उसके बाद अन्य तीन प्रत्याशियों में से एक का पर्ची से चयन किया जाएगा.


सरपंच के चुनाव के लिए ऐसे तैयार की गई प्रक्रिया


ग्राम पंचायत में सबसे पहले युवा संगठन तैयार किया गया जिसमें प्रस्ताव बनाया गया कि पूरे गांव में किसी एक को सरपंच चुनना है. गुरुवार को दिन में समिति बनाकर तय किया गया कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति को बुलाना है. सभी लोगों को बुलाकर मंदिर में बैठक की गई, जिसमें तय हुआ कि जो भी सरपंच के लिए दावेदार हो वह 11-11 हजार रुपये जमा करे, जो मंदिर विकास में खर्च किए जाएंगे, जिसके बाद बने सिंह मेवाड़ा, चंदरसिंह मेवाड़ा, बाबूलला मेवाड़ा, धर्मेंद्र मेवाड़ा ने पैसे जमा किए. इसके बाद जब कन्या ने पर्ची उठाई तो चंदर सिंह मेवाड़ा का सरपंच पद के लिए चयन किया गया.


 


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