मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का बुधवार को निराकरण कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि ट्रिपल टेस्ट का पालन कराने के बाद ही मध्यप्रदेश में स्थानीय पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएंगे. यहां आपको बता दें कि इसके पहले मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी अध्यादेश में पंचायत चुनाव संपन्न कराने का ऐलान किया गया था. जिसमें आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया. सरकार द्वारा 8 साल पुराने रोटेशन के आधार पर ही चुनाव संपन्न कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.


ओबीसी आरक्षण पर पलट गई कहानी


सरकार के इस निर्णय के बाद मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कहानी ओबीसी आरक्षण पर पलट गई. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की सभी ओबीसी सीटों पर पंचायत चुनाव रोकते हुए उन्हें सामान्य मानकर चुनाव प्रक्रिया संपादित करने का आदेश दिया था. इसके बाद सरकार ने पंचायत चुनाव संबंधी अध्यादेश निरस्त कर दिया, जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने भी पंचायत चुनाव की अधिसूचना निरस्त कर दी थी.


इन तमाम स्थितियों के बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नियत थी लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को इस आधार के साथ निराकृत कर दिया कि जब अध्यादेश निरस्त हो गया तो इन याचिकाओं पर सुनवाई का कोई आधार नहीं बचा है.


निर्वाचन आयोग का रुख सामने आया


सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब निर्वाचन आयोग का रुख सामने आया है. मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने जानकारी देते हुए बताया कि भविष्य में जब भी पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएंगे उनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गवली और कृष्णमूर्ति मामले में दिए गए जजमेंट का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने यह भी बताया कि इसके पहले ही मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग अपने हलफनामे में स्पष्ट कर चुका था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन कराते हुए ही मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएंगे.


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