Madhya Pradesh: कोविड-19 (Covid) के संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) ने भी जमकर कहर बरपाया था. हालांकि फिलहाल कोविड संक्रमण की दर ना के बराबर है, लेकिन फिर भी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीज सामने आ रहे हैं. लांग कोविड का असर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी से अभी भी अनेक लोग जूझ रहे है.


जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस मरीजों का ये है आंकड़ा
मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस के नए मरीज हर माह सामने आ रहे हैं. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2021 से लेकर नवंबर 2022 तक ब्लैक फंगस के 200 से ज्यादा नए मरीज सामने आ चुके हैं. इस दौरान साल 2021 में 193 तो 2022 में 18 नए मरीज ब्लैक फंगस का मेडिकल कालेज में इलाज कराने पहुंचे.


ब्लैक फंगस को विशेषज्ञों ने बताया है जानलेवा


विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के साथ दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी ब्लैक फंगस हो रही है. हालांकि उन मरीजों की संख्या कम है, लेकिन ब्लैक फंगस अपने आप में सबसे घातक बीमारी है. ऐसे में दूसरी बीमारियों के साथ इसका उपचार करना बेहद चुनौती पूर्ण है. नए पीड़ितों में कोविड के साथ 5 ऐसे मरीज डायग्नोस किए गए हैं, जो कि पीलिया और डेंगू से पीड़ित थे. हालांकि इन सभी मरीजों को बचा लिया गया है.


कोविड की दूसरी लहर में दर्ज किये गए थे ब्लैक फंगस के 100 से ज्यादा मरीज


नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा के मुताबिक, अप्रैल 2021 में म्यूकोमाइसिस के कई मरीज सामने आए थे. इस माह सिर्फ 4 मरीज थे, लेकिन कोविड की दूसरी लहर के साथ मई 2021 में 100 से ज्यादा नए मरीजों को ब्लैक फंगस ने चपेट में लिया था. यह ब्लैक फंगस का पीक माह था. कोविड-19 के शिकार हो चुके सभी लोगों में म्यूकोरमाइसिस का संक्रमण होने की संभावना होती है.


इस साल कोविड के साथ पीलिया और डेंगू से पीड़ित मरीज भी ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं. संक्रमण कम होने के बाद भी ब्लैक फंगस के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं. डॉ कविता सचदेव के मुताबिक गलत देखभाल या लापरवाही के चलते इस बीमारी का पता चलने में अक्सर देर हो जाती है. यही कारण होता है कि इसकी मोर्टलिटी रेट 50 से 100 फीसदी तक पहुंच जाती है.


क्या है दुर्लभ ब्लैक फंगस इंफेक्शन


ब्लैक फंगस (Mucormycosis) एक दुर्लभ फंगस इंफेक्शन है जो तेजी से नाक, आंख, दिमाग व साइनस में फैलता है. यह म्यूकोर्मिसेट्स के रूप में जाने वाले मोल्डों के समूह के कारण होता है. विशेषज्ञों के अनुसार ब्लैक फंगस पहले से ही वातावरण में मौजूद है,लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते यह लोगों को अपना शिकार बना रहा है.


ब्लैक फंगस के लक्षण



  • आंखों में सूजन, आंखें लाल होना, आंखें खोलने व बंद करने में परेशानी, डबल विजन, दिखाई कम या नहीं दिखना

  •  नाक बंद होना व नाक से बदबूदार पानी / खून आना

  • चेहरे पर सूजन/सिर दर्द/सुन्नपन होना

  • दांतों में दर्द, चबाने में परेशानी, उल्टी व खांसने में खून आना

  • बुखार, खांसी, साँस लेने में तकलीफ़, खून की उल्टी होना आदि


बचाव के तरीके



  • ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए

  • कोविड के इलाज में स्टेरॉयड का उचित उपयोग

  • ऑक्सीजन ह्यूमिडिफायर में साफ पानी का उपयोग

  • धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर रखें

  • मिट्टी, काई और खाद के सम्पर्क में आने से बचें


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