मध्य प्रदेश पुलिस का एक बड़ा कारनामा अदालत में बेनकाब हो गया है. दरअसल ग्वालियर के मुरार पुलिस थाने ने हत्या के एक मामले में गवाह बृज बिहारी नाम के एक व्यक्ति को मरा हुआ बताया था. उसने इसके लिए गांव के सरपंच का प्रमाण पत्र भी अदालत में पेश किया था.गुरुवार को बृज बिहारी के वकील विशेष न्यायाधीश संजय गोयल के समक्ष पेश हुए.वकील ने अदालत को बताया कि बृज बिहारी सेना में कार्यरत है. वकील का कहना था कि छुट्टी न मिल पाने के कारण वह गवाही देने नहीं आ सका था. वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि गवाह अगली सुनवाई पर जरूर उपस्थित रहेगा.उसने न्यायायल से सुरक्षा उपलब्ध कराने की भी मांग की है.अदालत ने इस मामले में मुरार पुलिस को फटकार लगाते हुए उससे स्पष्टीकरण देने को कहा है.


क्या कहना है सरकारी वकील का


अपर लोक अभियोजक सचिन अग्रवाल ने बताया कि तीन मई 2014 को मुरार थाना क्षेत्र के अवध बिहारी शर्मा की हत्या कर दी गई थी. इस घटना में अरविंद गुर्जर भी घायल हो गया था. मुरार पुलिस ने इस मामले में हरेंद्र राणा, विक्रम राणा, अरुण राणा और अन्य को आरोपी बनाया है. 


पुलिस ने गवाह को कैसे मृत साबिक किया 


इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले के गवाह बृज बिहारी को तलब किया. इस पर मुरार पुलिस ने अदालत को जानकारी दी कि बृज बिहारी की मौत हो चुकी है.अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए पुलिस ने बिजौली गांव के सरपंच का प्रमाण पत्र भी अदालत में पेश किया था.वहीं गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान इस बात का पता चला कि बृज बिहारी जीवित है.इसके बाद अदालत ने मुरार पुलिस को लेकर नाराजगी जताई. अदालत ने कहा कि मुरार पुलिस का यह कृत्य आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है अदालत ने इस मामले में मुरार पुलिस से सफाई मांगी है. 


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