Madhya Pradesh Election 2023 News: मध्यप्रदेश की राजनीति में महिला सशक्तिकरण के तमाम दावे किए जाते हो, लेकिन यह दावे जमीनी रूप से नजर नहीं आते हैं.  इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा को देखकर ही लगाया जा सकता है, जहां 66 साल में महज एक बार ही महिला जनप्रतिनिधि विधायक चुन सकी है. तब लेकर अब तक इस सीट पर पुरुष विधायकों का ही कब्जा रहा है. वर्तमान में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सीट से विधायक है. 


बता दें बुदनी विधानसभा का गठन साल 1957 में हुआ था. 1957 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. शुरुआती चुनाव में इस सीट पर महिला जनप्रतिनिधि ने कांग्रेस को विजयी दिलाई थी, लेकिन इसके बाद से ही इस सीट पर पुरुष ही विधायक बनते आ रहे हैं. गठन के बाद साल 1957 में हुए चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजकुमारी सूरज कला विधायक चुनी गईं थी. साल 1962 में निर्दलीय बंसीधर बने. 1967 में भारतीय जनसंघ से मोहनलाल शिशिर, 1972 में निर्दलीय शालिग्राम वकिल, 1977 में जनता पार्टी से शालिग्राम वकिल, 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से केएल प्रधान, 1985 में भजापा से चौहान सिंह चौहान, 1990 में भाजपा से शिवराज सिंह चौहान, 1992 में पोल द्वारा भाजपा से मोहनलाल शिशिर, 1993 में कांग्रेस से राजकुमार पटेल, 1998 में कांग्रेस के देवकुमार पटेल. जबकि साल 2003 से तो इस सीट पर मानों भाजपा का ही कब्जा हो गया है. साल 2003 में भाजपा से राजेन्द्र सिंह, 2006 में पोल द्वारा भाजपा से शिवराज सिंह चौहान, 2008 में भाजपा से शिवराज सिंह चौहान, 2013 में भाजपा से शिवराज सिंह चौहान और 2018 में भी भाजपा से शिवराज सिंह चौहान विधायक चुने गए.


MP Politics: कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा सुधारने में लगे हैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, इस समय नजर आएगा असर


अब भी सक्रिय नहीं महिला जनप्रतिनिधि
बता दें बुदनी विधानसभा में महिला जनप्रतिनिधिओं को मौका देने के मामले में दोनों ही प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस परहेज करती है. नतीजतन बुदनी विधानसभा में विधानसभा चुनाव के मामले में महिला जनप्रतिनिधियों ने अपनी सक्रियता शून्य कर रखी है. वर्तमान में भी बुदनी विधानसभा क्षेत्र से कोई भी महिला जनप्रतिनिधि सक्रिय नहीं है. 


2018 में भी महिलाओं ने बनाई थी दूरी
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों ही प्रमुख दलों सहित अन्य दलों ने महिला जनप्रतिनिधियों पर विश्वास नहीं जताया था. साल 2018 में भाजपा की और से जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रत्याशी थे, जबकि कांग्रेस की और से वरिष्ठ नेता अरुण यादव मैदान में थे. बसपा की और से संजीत कुमार सहित निर्दलीय प्रत्याशी हेमराज पेथानी ने किस्मत आजमाई थी. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान ने निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव को भारी मतों से पराजित किया था.