Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में खेती किसानी के मॉडल को अब मछली पालन में भी लागू किया जाएगा. दरअसल किसानों के एफपीओ की तरह मछली पालन में भी एफपीओ बनाने की तैयारी है. इसके लिए सरकार बकायदा नई योजना ला सकती है. इसमें मछली उत्पादक से लेकर व्यवसाई तक शामिल हो सकते हैं. यह एफपीओ कई लोगों के समूह होंगे, जो सरकार से एक निश्चित अनुदान लेकर मछली पालन कर सकते हैं. यह मछली पालन को सीधे कॉमर्शियल मार्केट से जोड़कर नॉनवेज के बढ़ते शगल को भुनाने की कोशिश है. 


मत्सय विभाग के अधिकारी ने क्या कहा
सीहोर मत्स्य विभाग के अधिकारी मीणा ने बताया पिछले 10 सालों में प्रदेश में मछली का उत्पादन और नॉनवेज की खपत में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2016 में 111 मानक फ्राई मछली बीज उत्पादन था जो बढ़कर 157 करोड़ हो चुका है. इसे 200 करोड़  तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है. बीते सालों में 460 हेक्टेयर से ज्यादा नए मछली पालन क्षेत्र विकसित किए गए हैं. प्रदेश में 36 नए फिश कियोस्क बनाए हैं. सरकार इसी साल मछुआ सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है. इसे मार्केट को देखते हुए कमर्शियल कनेक्टिविटी की टीम के साथ किया जाएगा.


क्या होता है एफपीओ मॉडल 
एफपीओ कई छोटे छोटे कारोबारियों का एक संयुक्त समूह होता है. अभी कई छोटे-छोटे कारोबारी साथ मिलकर एक समूह बनाते हैं. जिन्हें कृषक उत्पादक समूह यानी एफपीओ कहा जाता है. इन्हें सरकार अनुदान देती है. ये सीधे बड़े कारोबारी की तरह मार्केट में कारोबार करता है. इसका फायदा यह है कि छोटे-छोटे कारोबारियों के साथ मिलकर बड़े सौदे करने की स्थिति में आ जाते हैं. ऐसा ही मछली पालन में भी किया जा सकता है क्योंकि अब नॉनवेज के शौकीनों के कारण बड़ा मार्केट भी बन चुका है.


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