Mother Milk Bank in Jabalpur: यूनिसेफ और नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा बनाया जा रहा मध्य प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक
जबलपुर में मध्य प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक जबलपुर में बन रहा है. प्रदेश में अपनी तरह के इस पहले और अनोखे मदर मिल्क बैंक में मां का दूध स्टोर किया जाएगा.
Mother Milk Bank in Jabalpur: मध्यप्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक जबलपुर में बन रहा है. प्रदेश में अपनी तरह के इस पहले और अनोखे मदर मिल्क बैंक में मां का दूध स्टोर किया जाएगा. यह मदर मिल्क ऐसे नवजात बच्चों का पोषण करेगा जिनकी मां किसी वजह से अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती है. यह बैंक यूनिसेफ और नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा बनाया जा रहा है. नए साल में जबलपुर संभाग के सबसे बड़े रानी दुर्गावती( लेडी एल्गिन) हॉस्पिटल को एक और सौगात मिली है.
इस अस्पताल में प्रदेश का पहला मदर मिल्क बैंक बनेगा, जहां मदर मिल्क को स्टोर किया जाएगा.स्टोर किए हुए माँ के दूध को जरूरतमंद नवजात बच्चों को दिया जाएगा.इससे उन नवजातों को सबसे ज्यादा फायदा होगा जो किसी कारणवश माँ के दूध से वंचित रह जाते हैं.मदर मिल्क बैंक बनने से नवजातों को नुकसानदायक डिब्बाबंद दूध से निजात मिलेगी.यह बैंक यूनिसेफ और नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा बनाया जाएगा. इसके लिए शुरुआती रूप में 8 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं.
नवजात बच्चों को होगी मदद
अक्सर देखा जाता है कि कई ऐसी मां होती हैं, जो प्रसव के बाद ठीक तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाती हैं. इसकी वजह प्रीमिच्योर प्रसव, ब्रेस्ट में मिल्क न बनना या अन्य कोई भी कारण हो सकता हैं. इससे बच्चे को वो पोषक तत्व नहीं मिल पाते जो मां के दूध में होते है. ऐसे में कई बार वे पैदा होते ही कमजोर होने के साथ-साथ बीमार भी पड़ जाते हैं. इस मिल्क बैंक में माएँ अपना दूध डोनेट भी कर सकती हैं.
प्रिजर्व किया जाएगा मदर मिल्क
स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संचालक डॉ संजय मिश्रा के मुताबिक मदर मिल्क बैंक में दूध को प्रिजर्व करके रखा जाएगा. इसके लिए पाश्चुरीकरण की वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाएगी. मदर मिल्क बैंक से न सिर्फ लेडी एल्गिन अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के साथ दीगर अस्पतालों में जन्मे सभी जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क दूध उपलब्ध कराया जाएगा. अस्पताल में इसके लिए 5 नर्सेस और 1 सुपरवाइजर का स्टाफ नियुक्त होगा. मौजूदा एसएनसीयू के नजदीक इसका कलेक्शन सेंटर होगा, वहीं पुराने ओपीडी के कक्ष में स्टोरेज होगा. यूनिसेफ और नेशनल हेल्थ मिशन इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. अस्पताल में इसके लिए जगह चिन्हित की जा चुकी है. 6 माह में इसे पूरा करने का टारगेट है.
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