Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में रेत (Sand) से होने वाली कमाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने रेत नियमों में बड़े बदलाव किए हैं. अब रेत का ठेका पांच साल के लिए दिया जाएगा. इसके साथ ही ई टेंडर-कम-ऑक्शन प्रणाली लागू की जाएगी और नीलामी भी खुली होगी. बता दें कि, अब तक मध्य प्रदेश सरकार को 900 करोड़ रुपये की रेत से कमाई होती है. इस कमाई को 900 करोड़ से बढ़ाकर 1,200 करोड़ रुपये करने के लिए सरकार ने रेत नियमों में बड़े बदलाव किए हैं. अब रेत का ठेका तीन साल के लिए नहीं बल्कि पांच साल के लिए दिया जाएगा. 


दरअसल, तीन साल का ठेका होने के बाद उसी ठेकेदार को 10 फीसदी राशि बढ़ाकर दो साल के लिए ठेका नियमित कर दिया जाएगा. रेत के नियमों में बदलाव के लिए मंगलवार को आयोजित कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. बता दें कि, कैबिनेट में मध्य प्रदेश रेत (खनन, परिवहन, भंडारण एवं व्यापार) नियम-2019 में संशोधन को मंजूरी दी गई है. सरकार की कोशिश है कि मई के अंत तक रेत के ठेकों की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाए.


जून-अगस्त में खत्म हो रहे ठेके
बता दें कि, वर्तमान में मध्य प्रदेश में 44 जिलों में समूह है. इनमें से 37 के ठेके जून महीने और बाकी के अगस्त महीने में समाप्त हो जाएंगे. इसी के चलते सरकार ने आदेश दिया है कि मई महीने के अंत तक रेत ठेकों की नीलामी प्रक्रिया शुरु कर दी जाए. मध्य प्रदेश में पहली बार राज्य सरकार द्वारा खनिज निगम को रेत की खदानें 10 साल के लिए लीज पर दी जाएगी. लीज की दरें भी जल्द ही तय होंगी. खदानों की नीलामी खनिज निगम करेगा और लीज की राशि सरकार को देगा. 


ठेकेदार नहीं, विभाग लेगा अनुमति
खनिज विभाग द्वारा बनाई गई नई रेत नीति में एक और बदलाव किया गया है. अब तक ठेकेदार द्वारा पर्यावरण और उत्खनन की अनुमति ली जाती थी, लेकिन अब विभाग द्वारा यह अनुमति ली जाएगी. विभाग का मानना है कि कई ठेकेदारों अनुमति नहीं ले पाते और रेत के ठेके की अवधि ही समाप्त हो जाती थी, लेकिन अब ठेकेदार को सभी अनुमति के साथ खदानें सौंपी जाएंगी.
 
2019 में बनी थी रेत नीति
बता दें इससे पहले कमलनाथ सरकार ने साल 2019 में रेत नीति बनाई थी. इस रेत नीति से खदानों से मिलने वाले राजस्व में छह गुना वृद्धि हुई थी, जो खदानें ढाई सौ करोड़ रुपये में नीलाम होती थी, वे साल 2019 में 1,500 करोड़ रुपये में नीलाम हुई थी. हालांकि, इस रेत नीति की वजह से रेत ठेकेदारों को काफी नुकसान का सामाना करना पड़ा था. रेत ठेकेदार नीलामी की राशि तक नहीं निकाल सके थे. ऐसे में प्रदेश के 18 जिलों में ठेकेदारों ने समय से पहले ही खदानों को छोड़ दियाया मासिक किस्त ही जमा नहीं कर सके.



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