Madhya Pradesh Scholarship Scams: 24 करोड़ की फर्जी स्कालरशिप डकार गए पैरामेडिकल कालेज, शिवराज सरकार ने वसूले सिर्फ 4 करोड़
MP News: मध्य प्रदेश में 24 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में जवाब देते हुए बताया गया कि घोटाले के 24 करोड़ में से सिर्फ 4 करोड़ की राशि वसूली जा सकी है.
Madhya Pradesh Scholarship Scams Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 24 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला (Scholarship Scams) करने वाले पैरामेडिकल कालेजों पर सरकार जमकर मेहरबान है. हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बावजूद इनसे अभी तक सिर्फ चार करोड़ की वसूली हो सकी है.
हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों और कॉलेजों की मिलीभगत से वसूली में ढिलाई बरती जा रही है.अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त नाराजगी दिखाई है. दरअसल, राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को हाई कोर्ट में जवाब पेश कर बताया गया कि घोटाले के 24 करोड़ में से सिर्फ 4 करोड़ की राशि वसूली जा सकी है.
इंदौर बेंच के सभी मामले मुख्य पीठ को ट्रांसफर
फिलहाल 14 करोड़ की राशि की वसूली के लिए आरआरसी जारी कर दी गई है. शासन की ओर से यह भी बताया गया कि सात कॉलेजों से वसूली पर हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने रोक लगाई है. इन कॉलेजों से करीब 5 करोड़ रुपये वसूल किया जाना है. सरकार के रवैये को आड़े हाथों लेते हुए चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने इंदौर बेंच के सभी मामलों को जबलपुर की मुख्य पीठ को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए. इन मामलों की सुनवाई अब मुख्यपीठ के सामने जबलपुर में होगी.
सरकार से वसूली पर मांगी रिपोर्ट
इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि बकाया वसूली पर जल्द से जल्द कर रिपोर्ट पेश करें. इस मामले पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी. बता दें कि एमपी लॉ स्टूडेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने एक जनहित याचिका दायर कर छात्रवृत्ति घोटाले पर कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने हाई कोर्ट को बताया था कि साल 2010 से 2015 तक प्रदेश के सैकड़ों निजी पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने फर्जी छात्रों का प्रवेश दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति की राशि डकार ली थी.
जांच में खुलासा हुआ कि जिन छात्रों के नाम पर राशि ली गई थी,वो कभी एग्जाम में बैठे ही नहीं थे. इसके अतिरिक्त एक ही छात्र के नाम पर कई कॉलेजों में एक ही समय में छात्रवृत्ति निकाली गई थी. घोटाले की जांच के बाद प्रदेश भर में 100 से ज्यादा कॉलेज संचालकों पर एफआईआर दर्ज हुई थी. पूरे प्रदेश में 93 निजी पैरामेडिकल कॉलेजों से 24 करोड़ रुपये की वसूली होनी है. इसमें से अभी केवल 20 कॉलेजों से वसूली हुई है. याचिका में आरोप है कि अधिकारियों और कॉलेजों की मिलीभगत से वसूली में ढिलाई बरती जा रही है.