Sehore News : कोरोना महामारी के जोखिम के बीच शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता लगातार काम कर रही हैं. वे इस दौरान आंकड़े जुटाने से लेकर वैक्सीन का काम करती रहीं हैं, लेकिन अब आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार की भेदभावकारी नीतियों के खिलाफ मोर्चा दिया है. अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर जिले भर की आशा कार्यकर्ता काला दुपट्टा लहरा कर सीहोर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचीं, जहां आशा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाली राशि काफी कम
आशा कार्यकर्ताओं के ओर से दिए गए ज्ञापन में लिखा गया है कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित 2000 रुपये का निश्चित प्रोत्साहन राशि काफी नहीं है. वे बेहद दयनीय स्थिति में अपना जीवन चलाने के लिए विवश हैं. वहीं सारे काम कर रहीं आशा एवं आशा पर्यवेक्षकों को अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन / राशि / मानदेय देकर अन्य राज्य सरकारें आशाओं को राहत पहुंचा रही हैं. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आशाओं को कुछ भी नहीं दे रही है.
निराशा ही लगी हाथ
कोविड महामारी के दौरान आशा एवं पर्यवेक्षकों ने अपनी एवं परिवार की जिंदगी को जोखिम में डाल कर लोगों की जान बचाने का काम किया. कुछ आशाओं ने इस दौरान जान भी गंवाई है. इसके बावजूद भी हम आशा एवं पर्यवेक्षकों को निराशा ही हाथ लगी है. प्रदेश की आशा, ऊषा एवं आशा पर्यवेक्षकों द्वारा जीने लायक वेतन की मांग हमने लम्बे समय से मांग कर रही हैं. लेकिन सरकार एवं विभाग की ओर से वेतन / निश्चित प्रोत्सहन राशि में वृद्धि के सम्बन्ध में कोई निर्णय नहीं ले रही है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हमें उम्मीद है जल्द ही हमारा वेतन बढ़ाएंगे. हमें और खून के समक्ष काम किया उसकी पहचान राशि देंगे.
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