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MP News: सीहोर में कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने का नहीं है इंतजाम, जानें क्या है स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल

Sehore News: सीहोर में कई स्वास्थ्य केंद्र के भवन जहां वर्षों से खंडहर हालत में हैं तो कई बिना भवन के ही संचालित हो रहे हैं. इसके चलते ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

Sehore News: जहां एक तरफ पूरे मध्यप्रदेश में तीसरी लहर को सरकार जिला प्रशासन सख्त दिखाई दे रहे हैं, साथ ही मुख्यमंत्री सहित मंत्री सड़कों पर उतरकर लोगों को मास्क पहनने को लेकर जागरूक भी कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनी हकीकत इसके विपरीत है. इसका अंदाजा सीहोर जिले के गांवों में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्रों से लगाया जा सकता है. जिनमें अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है. स्थिति यह है कि कई केंद्र के भवन जहां वर्षों से खंडहर हालत में हैं तो कई बिना भवन के ही संचालित हो रहे हैं. अधिकांश केंद्रों में अधिकांश समय में ताले लटके रहते है. इसके चलते ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

ना ही डाक्टर उपस्थित है ना ही स्वास्थ्य कर्मी

विकासखण्ड के ग्रामीण अंचल में इस समय स्वास्थ्य सुविधाएं काफी खराब है. आलम यह है कि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सलाह व उपचार सुविधा के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दरअसल गांवों में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्रों में कई अव्यवस्थाएं व्याप्त है. स्थिति यह है कि अधिकांश केंद्रों के जहां अधिकांश समय ताले डले रहते हैं. वहीं मैदानी अमला भी गांवों से नदारद रहता है. ना ही डाक्टर उपस्थित है ना ही स्वास्थ्य कर्मी. अब तीसरी लहर से लड़ने को लेकर सरकार के तमाम वादे जमीनी स्तर फेल दिखाई दे रहे हैं. 

सीहोर जिले की सबसे खराब हालत दीवड़िया सेक्टर के तहत आने वाले केंद्रों की है. यहां पदस्थ स्वास्थ्य कार्यकर्ता सप्ताह में एकाध दिन केंद्र पर पहुंचकर चंद मिनिटों में टीकाकरण के नाम पर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लौट जाते हैं. ऐसे में मरीजों व महिलाओं को उपचार सुविधा के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर होना पड़ता है. केंद्रों में अक्सर ताले लटके होने के कारण मरीजों को प्राथमिक उपचार व स्वास्थ्य सलाह के लिए निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है.
इसी तरह सिद्धिकगंज, बिलकिसगंज, जूनापानी सहित एक दर्जन उपस्वास्थ्य केंद्र के यही हालात हैं, लेकिन खास बात यह है कि प्रशासन के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

16 सालों से बिना भवन के आर्या उपस्वास्थ्य केंद्र

आर्या का उपस्वास्थ्य केंद्र को पिछले 16 सालों से भवन की बाट जोह रहा रहा है. दरअसल 16 साल पहले केंद्र का भवन गिर गया था, इसके बाद उक्त केंद्र बिना भवन के ही संचालित हो रहा है. ग्राम पंचायत नवीन भवन निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज चुकी है, लेकिन भवन निर्माण की स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि उपस्वास्थ्य की बदहाल स्थिति के कारण लोगों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है. यहां तक लोगों को मरहम पट्टी, क्लोरीन की गोली व अन्य दवाईयों के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ता है. उनका कहना है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता कभी-कभी गांव आते हैं और आंगनबाड़ी में चंद मिनट टीकाकरण कर लौट जाते हैं. उक्त केंद्र से आर्या सहित आसपास के करीब आधा दर्जन गांव के लोग लाभान्वित होते हैं, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. यही हाल बिशनखेड़ी, उपस्ता केट, वरिष्ठ दौलतपुर, हरसपुर, चैनपुरा आदि केंद्रों के भी है. इनमें पदस्थ एमपीडब्लू, एएनएम आदि मुख्यालय पर निवास नहीं करते हैं. इसके चलते ग्रामीणों को समुचित स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है.

टीकाकरण में भी लापरवाही

गर्भवती महिलाओं व शिशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए उनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण व टीकाकरण किया जाना अनिवार्य है. इसके लिए विभाग द्वारा सप्ताह भर का शेड्यूल निर्धारित किया जाता है. लेकिन खासबात यह है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों का नियमित दौरा नहीं किया जाता है. इस कारण कई शिशु व महिलाएं टीकाकरण से वंचित हो जाते है.

इस मामले में इछावर बीएमओ ने बताया कि आर्या उपस्वास्थ्य केंद्र के नवीन भवन निर्माण का प्रस्ताव शासन को बेजा जा चुका है लेकिन अभी तक स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है. इसके अलावा जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी ड्यूटी में लटकी बरत रहे है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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