(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Madhya Pradesh: एमपी के इन सात पर्यटक स्थलों को जोड़ा जाएगा एयर कनेक्टिविटी से, सरकार ने बनाया ये प्लान
MP News: सतना, सागर और मंडला वन्य अभयारण्य के पास और इसी तरह सीधी, खरगोन, खंडवा, पचंमढी में धार्मिक स्थल के नजदीक हवाई पट्टी बनाई जाएगी.
Madhya Pradesh News: कुदरत की हसीन वादियों और वन्य प्राणियों के दीदार का शौक रखने वाले सैलानियों के लिए मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) हवाई पट्टी बनाकर हैलिकॉप्टर उतारने का प्लान कर रही है. अब उड़ान शुरू करने को लेकर कवायद शुरू हो गई है. राज्य सरकार प्रदेश की खूबसूरत वन्य अभयारण्य धार्मिक स्थलों से एयर शिफ्टिंग की सेवा उपलब्ध कराएगी. मध्य प्रदेश में अब अभ्यारण्य पर्यटन स्थलों (MP tourist Places) और धार्मिक स्थानों (MP religious places) के करीब हवाई पट्टी को बढ़ावा देना या पुनर्जीवित करने का सरकार का विचार है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) मध्य प्रदेश में 7 स्थानों पर एयर कनेक्टिविटी (Air Connectivity) से जोड़ने की प्लानिंग कर रहा है.
यहां बनाई जाएगी हवाई पट्टी
मध्य प्रदेश के 7 जिलों में पर्यटन धार्मिक स्थान हैं जहां दूसरे राज्यों के लोग घूमने और दर्शन करने आते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के वनजीव अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuary) और धार्मिक स्थलों को इसी साल हवाई सेवा से जोड़ दिया जाएगा. इसे लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान योजना 5.0 के तहत निविदाएं मांगी हैं. कुछ स्थानों पर एयर शिफ्टिंग बनेगी तो कुछ जगह बने हवाई अड्डों का विस्तारीकरण किया जाएगा. मंत्रालय सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि सात स्थान चिन्हित किए हैं जहां एयरस्ट्रिप प्रस्तावित होंगे. सतना, सागर और मंडला वन्य अभयारण्य के पास इसी तरह सीधी, खरगोन, खंडवा, पचंमढी में धार्मिक स्थल के नजदीक हवाई पट्टी बनाई जाएगी.
एयर कनेक्टिविटी पर होगा काम
नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयर स्ट्रिप के निर्माण और हवाई अड्डों के विस्तार के लिए दो चरणों में एयरलाइन और विनिर्माण कंपनियों से निविदाएं मांगेगा. वित्तीय वर्ष में बोलियां आमंत्रित कर कार्य की शुरुआत हो जाएगा. वहीं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले कनेक्टिविटी पर कार्य किया जाएगा. सभी योजनाओं पर समयबद्धता के साथ कार्य किया जाएगा. भूमि चिन्हीकरण, फॉरेस्ट क्लीयरेंस अधिग्रहण अथवा भूमि हस्तांतरण निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया आदि जैसे प्रत्येक कार्य के लिए समयसीमा पूर्व में ही निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए गए. साथ ही कहा कि प्रत्येक योजना की साप्ताहिक अथवा पाक्षिक मॉनिटरिंग की जाए ताकि निर्धारित समयसीमा में कार्य पूरे हो सकें.