Watch: वाहन नहीं मिला तो बाइक पर शव लेकर निकला पिता, सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल
Madhya Pradesh: शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्ष्मण सिंह ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी को तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था
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Shahdol Viral Video: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर शहडोल (Shahdol) जिले से सामने आई है. यहां वाहन न मिलने से लाचार पिता को अपनी मासूम बेटी के शव को बाइक में ले जाना पड़ा. हालांकि जब सोशल मीडिया में वायरल वीडियो की खबर कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्हें तत्काल दुखी पिता से भेंटकर शव वाहन की व्यवस्था की.
शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने बताया कि सोमवार की रात किसी शख्स के मोटर सायकिल पर शव ले जाने की सूचना मिली थी. कलेक्टर ने परिजनों के पास पहुंचकर शव को बाइक में जाने से रोका और जिला अस्पताल शहडोल के सिविल सर्जन को तत्काल बच्ची के शव को वाहन भेजने के निर्देश दिए. सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को शव वाहन उपलब्ध करा कर उन्हें उनके गांव भेजा गया.
#मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर शहडोल जिले से आई है....बेबस पिता को शव वाहन न मिलने पर अपनी मासूम बेटी के शव को मोटरसाइकिल में ले जाना पड़ा.@ABPNews @abplive @ChouhanShivraj @OfficeOfKNath @digvijaya_28 @VTankha @tarunbhanotjbp @Manish4all pic.twitter.com/p8Yh53oltk
— AJAY TRIPATHI (ABP NEWS) (@ajay_media) May 16, 2023
कलेक्टर ने भी की पीड़ित परिवार की आर्थिक सहायता
पीड़ित परिजनों के लिए समाजसेवी प्रवीण सिंह ने भोजन और पानी की व्यवस्था की. कलेक्टर वंदना वैद्य ने अपने पास से भी पीड़ित परिजनों को आर्थिक सहायता दी थी. बताया जाता है कि शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्ष्मण सिंह ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी को तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए 12 मई को जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था. माधुरी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित थी. माधुरी का 2 दिन तक जिला अस्पताल में इलाज चलता रहा. इलाज के बाद भी माधुरी की जान नहीं बच सकी.
अस्पताल प्रशासन ने दिया टका सा जवाब
माधुरी की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने शव को अपने घर तक ले जाने के लिए सरकारी शव वाहन लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली. पीड़ित पिता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि उन्होंने जिला अस्पताल शहडोल के प्रबंधन से शव वाहन मांगा था. अस्पताल प्रशासन ने टका सा जवाब दिया कि 15 किमी से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा. आपको खुद बेटी के शव को ले जाने का इंतजाम करना पड़ेगा.
कलेक्टर वंदना वैद्य ने की मदद
आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से परिजन निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा सकते थे. इसलिए उन्होंने बाइक में ही शव रखकर घर ले जाने का निर्णय लिया. वो लोग शव को मोटरसाइकिल पर रखकर निकल पड़े. शहर के बीच से शव को मोटर साइकिल पर ले जाने की सूचना शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्होंने संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को मदद दी.
बता दें कि आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में आये दिन कभी खाट, कभी सायकल और कभी बाइक पर शव ले जाने के मामले सामने आते रहे हैं. मामला सामने आने के बाद प्रशासन व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा भी करता है, लेकिन इसके बावजूद लाचार गरीबों को शव वाहन की सुविधा नहीं मिल पाती है.
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