Shahdol News: मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले शहडोल से सरकारी दावों की पोल खोलती 'खटिया एम्बुलेंस' की तस्वीर सामने आई है. सड़क न होने से प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों को 'खटिया एंबुलेंस' का सहारा लेना पड़ा. हालांकि,उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण प्रसूति अस्पताल नहीं पहुंच सकी और बीच में ही उसकी डिलीवरी हो गई. परिजनों ने इस घटना का वीडियो भी बना लिया,जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

दरअसल,पूरा मामला शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत धनौरा के ग्राम तुर्री-दलान का है. पहाड़ी के पार बसे इस गांव के रहने वाले मोहन बैगा की 25 साल की पत्नी गनपति बैगा को बुधवार (26 जुलाई) की सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 108 नम्बर को फोन लगाया तो वहां से जवाब मिला कि सड़क न होने से आपके गांव तक एंबुलेंस नहीं आ सकती. एम्बुलेंस सर्विस प्रोवाइडर ने कहा कि प्रसूता को पहाड़ से लेकर नीचे आए. तब ग्रामीणों ने खटिया को बांस से बांध कर 'खटिया एम्बुलेंस' बनाया. इसके बाद कंधे के सहारे दो किलोमीटर की खराब सड़क एवं 300 फिट की पहाड़ी उतर कर वे प्रसूता को लेकर के मुख्य सड़क तक आये.




रास्ते में ही हो गया प्रसव
इसके बाद आशा कार्यकर्ता की मदद से प्रसूता को जब एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ार ले जा रहे थे, तभी रास्ते में बम्हौरी के पास खराब सड़क के कारण प्रसव हो गया. प्रसूति गणपति बैगा को समीपस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बम्हौरी ले जाया गया. यहां उपस्थित नर्सों ने जांच कर स्थिति सामान्य बताई, तब गनपति बैगा को बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. ऐसी अव्यवस्थाओं के बाद भी फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है.

बड़े-बड़े दावे करती है सरकार
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार आदिवासियों के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन दूरस्थ अंचलों में रहने वाले आदिवासी आज भी बेहद खराब स्थिति में जीवन यापन को मजबूर हैं. वहीं,इस मामले में शहडोल जिला पंचायत के सीईओ हिमांशु चंद्रा का कहना है कि गांव की सड़क के लिए प्रस्ताव बुला लिया गया है. जल्द ही सड़क स्वीकृत करके बनवा दी जाएगी.


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