Madhya Pradesh News: कहावत है दूध का जला, छाछ भी फूंक फूंककर पीता है. कुछ ऐसा ही किस्सा सियासी स्कैन में हम बताने जा रहे हैं, विंध्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता अजय सिंह (Congress Leader Ajay Singh) का. लगातार छह बार से विधायक बनते आ रहे अजय सिंह साल 2018 के विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) में अपने गढ़ में ही हार गए थे. हालांकि इस हार की वजह कांग्रेस नेता अजय सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Congress President Kamal Nath) के साथ किए गए दौरों को मान रहे हैं.
लिया सबक, नहीं छोड़ेंगे अपना गढ़
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि पिछला चुनाव तो मैं अपनी बेवकूफी से हारा था. भारतीय जनता पार्टी ने कोई घेरा नहीं किया था. अगर मैंने पीसीसी चीफ कमलनाथ के साथ पूरे प्रदेश में दौरा न किया होता और चुरहट विधानसभा क्षेत्र में ही रहता या विंध्य में ही रहता तो यह हालत नहीं होती. उन्होंने कहा कि हम भी अब सबक सीख गए हैं कि ऐन मौके पर क्षेत्र में ही रहना चाहिए. सरकार बनेगी, लेकिन अपना गढ़ भी बचा रहे. इसलिए अब हम पूरे संभाग में ही सीमित रहेंगे.
चुरहट विधानसभा 2018 का परिणाम
बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ था. 15 साल से प्रदेश की सत्ता में जमी बीजेपी की सरकार को कांग्रेस ने सत्ता से बेदखल कर दिया था, लेकिन इस चुनाव में विडम्बना यह रही कि लगातार छह बार से विधायक बनते आ रहे विंध्य क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेसी नेता अजय सिंह चुरहट विधानसभा से हार गए थे. इस चुनाव में अजय सिंह को बीजेपी के शारदेन्दु तिवारी ने चुनौती दी थी. इस चुनाव में चुरहट विधानसभा से 21 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. इसमें बीजेपी से शारदेन्दु तिवारी, जबकि कांग्रेस से छह बार के विधायक अजय सिंह मैदान में थे. चुनाव परिणाम में बीजेपी के शारदेन्दु तिवारी को 71 हजार 909 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के अजय सिंह 65 हजार 507 मतों से संतोष करना पड़ा था.
इस तरह अजय सिंह यह चुनाव छह हजार 402 मतों से हार गए थे. इनके अतिक्ति चुरहट विधानसभा से अन्य प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, जिनमें विवेक कोली बीएसपी 2997, ददन सिंह आईएनडी 2248, आनंद पांडे सीपीआई 1961, अर्जुन प्रसाद 1692, छोटू कोली 1646, राजीव कुमार तिवारी 1583, धर्मेन्द्र सिंह बघेल 1308, अर्जुन कुमार मिश्रा 1204, दादूलाल पांडे 895, मूलनिवासी हनुमान साहू 817, राकेश कुमार दुबे 712, मनीष कुमार शर्मा 572, जगदीश प्रसाद तिवारी 464, अशोक कुमार वर्मा 448, रघुनंदन सिंह 339, राजरूप बैस 335, संदीप पांडे 260, धीरेंद्र प्रसाद द्विवेदी 255 और रणविजय वर्मा शामिल थे, जिन्हें 224 मत प्राप्त हुए थे.
1985 में पहली बार विधायक बने अजय
बता दें कांग्रेस नेता अजय सिंह पहली बार साल 1985 में विधायक चुने गए थे, इसके बाद 1991, 1998, 2003, 2008 व 2013 में भी विधायक चुने गए थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अजय सिंह ने साल 1998 में 11वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होने के साथ ही मंत्री पद का भी दायित्व निभाया. 15 अप्रैल 2011 से 10 दिसंबर 2013 तक वे नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रहे.