Madhya Pradesh News: जिस तरह से मध्यप्रदेश की कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ अभेद बना हुआ है, ठीक उसी तरह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का गढ़ राघोगढ़ भी मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती बन गया है. साल 1977 से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी दिग्विजय सिंह के अभेद गढ़ को नहीं भेद पाई है. चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में फिर सात-आठ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने अभी से दिग्विजय सिंह के अभेद गढ़ को ढहाने के लिए प्लानिंग बनाना शुरु कर दी है. 


1977 से दिग्विजय सिंह परिवार का अभेद किला गढ़
बता दें राघोगढ़ विधानसभा साल 1997 से ही दिग्विजय सिंह परिवार का अभेद किला बन गया है. इस किले को भेदने के लिए बीजेपी ने लाख प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हो सके. यहां तक की साल 2003 के विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के सामने वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान को चुनाव मैदान में उतार दिया था, बावजूद बीजेपी यहां भी सफल नहीं हो सकी. राघोगढ़ विधानसभा से दिग्विजय सिंह चार विधायक चुने गए, जबकि उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह दो बार और बेटे जयवर्धन सिंह दो बार विधायक चुने जा चुके हैं. साल 1977 में दिग्विजय सिंह पहली बार राघोगढ़ से विधायक बने, इसके बाद 1980 - दिग्विजय सिंह, 1990 लक्ष्मण सिंह, 1993 - लक्ष्मण सिंह, 1998 - दिग्विजय सिंह, 2003 - दिग्विजय सिंह, 2013 - जयवर्धन सिंह, 2018 - जयवर्धन सिंह वर्तमान में विधायक हैं. 


26 साल में ही विधायक बन गए जयवर्धन सिंह
दिग्विजय सिंह के अभेद गढ़ का यह फायदा है कि जिस उम्र में युवा अपने करियर की तलाश में रहते हैं, उस उम्र में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ से विधायक बन गए थे. छह जुलाई 1986 को जन्मे जयवर्धन सिंह पहली बार साल 2013 में राघोगढ़ से विधायक चुने गए, उस समय जयवर्धन सिंह की उम्र महज साढ़े 26 साल ही थी. पहली बार चुनाव में उतरे जयवर्धन सिंह साल 2013 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड 58 हजार 204 मतों से जीते थे. दोबार साल 2018 के चुनाव में भी जयवर्धन सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी को 46 हजार 697 वोटों से पराजित किया था. साल 2018 में हुए सत्ता परिवर्तन में जयवर्धन सिंह मध्य प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री बने.  


2018 में सात प्रत्याशियों पर पड़े भारी
बता दें साल 2018 के विधानसभा चुनाव में राघोगढ़ विधानसभा से आठ प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी, जिनमें कांग्रेस से जयवर्धन सिंह बीजेपी से भूपेन्द्र रघुवंशी मैदान में थे. इस चुनाव में जयवर्धन सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 46 हजार वोटों से पराजित कर दिया था. इसी तरह बनवारीलाल अहिरवार बीएसपी 3630, भूपेन्द्र सिंह निर्दलीय 1029, श्रीमती रंजना कुशवाह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 957, भूपेन्द्र सिंह निर्दलीय 458, रुपसिंह धाकड़ आम आदमी पार्टी 446 और दलुआ को 386 मत प्राप्त हुए थे.


ये भी पढ़ें


MP: शिवराज सरकार ने तहसीलों के विस्तार पर लगाई रोक, विधायकों से पूछे बिना ही हो रहा था काम