Siyasi Scan: चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को महज अब सात से आठ महीने ही शेष बचे हैं. चुनावी साल मध्य प्रदेश में अब राजनीति से जुड़े किस्से निकलकर बाहर आ रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का सामने आया है. इससे किस्से के मुताबिक उमा भारती को बीजेपी से नौ बार के विधायक बाबूलाल गौर विश्वास नहीं था. उमा भारती ने बाबूलाल गौर को गंगाजल की कसम खिलाई थी, हालांकि कसम खिलाने के बाद भी उमा भारती को दोबारा से सीएम पद नसीब नहीं हो सका. 


राजनीति के जानकारों के अनुसार अब से 20 साल पहले मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार थी. 2003 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना थे, लेकिन कांग्रेस और मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की मजबूत पकड़ के चलते उन्हें हरा पाना बीजेपी के लिए मुश्किल लग रहा था. ऐसे में बीजेपी संगठन ने फायर ब्रांड नेता उमा भारती पर विश्वास जताया और उमा भारती को मध्य प्रदेश का सीएम चेहरा घोषित किया. अपनी बेबाकी के चलते उमा भारती ने पूरे मध्य प्रदेश की जनता का दिल जीत लिया. उमा भारती ने 2003 के विधानसभा चुनाव में मलहरा सीट से अपनी किस्मत आजमाई और जीत भी गईं. उमा भारती तो चुनाव जीती ही जीती साथ ही पूरे प्रदेश में भी कमल खिल गया और प्रदेश की सत्ता से दस साल पुरानी कांग्रेस की दिग्विजय सिंह की सरकार हटकर बीजेपी की उमा भारती की सरकार बन गई. 


महज 9 महीने ही भोगा सरकार का सुख
मध्य प्रदेश की सत्ता में दस साल से जमी कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद भी बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती महज नौ महीने ही मध्य प्रदेश की सत्ता का सुख भोग सकीं. कर्नाटक की हुबली की अदालत से दस साल पुराने एक मामले में वारंट जारी होने के बाद उमा भारती को प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. 


बाबूलाल गौर पर जताया विश्वास
कर्नाटक की अदालत से आए फैसले के बाद उमा भारती ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और सरकार के लिए उमा भारती ने प्रदेश के नौ बार के विधायक बाबूलाल गौर को चुना. हालांकि उमा भारती को बाबूलाल गौर पर भी विश्वास नहीं था, जिसके उन्होंने बाबूलाल गौर से गंगा जल की कसम खिलवाई थी. उमा भारती ने बाबूलाल गौर को गंगाजल की यह कसम खिलवाई कि जब मैं कहूं तब सीएम की कुर्सी छोड़ देना. 


नहीं बन सकीं दोबारा सीएम
बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती कनार्टक कोर्ट कचहरी के मामले से निपटने के बाद दोबारा एमपी लौटीं और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को कसम याद दिलाई और उनसे इस्तीफा मांगा, लेकिन बाबूलाल गौर इस्तीफा देने से मुकर गए. इस तरह प्रदेश की सत्ता में दोबारा से उमा भारती मुख्यमंत्री नहीं बन पाईं थीं, हालांकि बाबूलाल गौर भी महज साल भर ही सीएम पद पर रह सके, उनके स्थान पर प्रदेश की सत्ता साल 2005 में पांव-पांच वाले भैया के नाम से अपनी पहचान बना चुके शिवराज सिंह चौहान को सौंपी गई. शिवराज सिंह चौहान अब तक प्रदेश की सत्ता में काबिज हैं. प्रदेश में सबसे लंबा सीएम रहने का रिकार्ड भी अब शिवराज सिंह चौहान के ही नाम है.


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