मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अब वन्य प्राणियों (Wild Animals) से जुड़े अपराधों की जांच और कानूनी करवाई में आसानी होगी क्योंकि, यहां के नानाजी देशमुख वेटनरी विश्वविद्यालय (Nanaji Deshmukh Veterinary University) की वन्य प्राणी फोरेंसिक एवं वन्य प्राणी नैदानिक लैब (School Of Wildlife Forensic And Health) को इससे से जुड़े मामलों के लिए राज्य स्तरीय प्रयोगशाला (State Level Laboratory) की मान्यता प्रदान कर दी गई है.


देश में वन्यजीवों से जुड़े अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सही समय पर सबूत ना मिलने से अपराधियों को सजा दिलाने में वन विभाग नाकाम हो जाता है. ऐसे में यह सेंटर न केवल सभी तरह के जंगली जानवरों की पहचान में मदद करेगा, बल्कि जंगली जीवों की बरामद खाल, बाल, हड्डियों के माध्यम से उसके बारे में जानकारी भी जुटाई जा सकेगी. अब यह सेंटर वन अपराधियों को सजा दिलाने में एक तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.


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गौरतलब है कि, प्रदेश और देश में प्रमुख रूप से शेर, हाथी, तेंदुआ, नेवला, कछुए, हिरन, चीतल, पैंगोलिन, किंग कोबरा, गेंडा जैसे जीव-जंतुओं का अवैध रूप से तेजी से शिकार हो रहा है. ऐसे में इस सेंटर के शुरू करने से, वन्य जीवों के अवैध तस्करी पर कुछ हद तक रोक लगाने में सहायता मिलेगी. नानाजी देशमुख वेटनरी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ विभाग की हेड डॉ. शोभा जवारे के मुताबिक, लैब में करीब 150 के लगभग वन्य प्राणियों के सभी तरह के सैम्पल जांच के लिए आते हैं. लैब के माध्यम से वन्य प्राणी की मौत, बीमारी, नस्ल की पहचान की जाती है.


डॉ. जवारे के मुताबिक, "आने वाले समय में सेम्पलों की संख्या में 2 से 3 गुना तक वृद्धि होने की संभावना है. इस लैब के नेशनल मैप में आने से संस्थान का दायित्व और अपेक्षाएं भी पहले से ज्यादा बढ़ेंगी." उन्हों ने आगे कहा, "अभी तक इस तरह की लैब मध्य प्रदेश में नही थी. लिहाजा वन विभाग को जांच के लिए सैंपल हैदराबाद या फिर देश के दूसरे इलाकों की लैब में भेजने पड़ते थे. वहीं अब मध्य प्रदेश में ही लैब को मान्यता मिलने से न केवल मध्य प्रदेश बल्कि आसपास के राज्यों से भी सैंपल आने शुरू हो गए हैं."


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