Bhopal News: मध्य प्रदेश विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. तीन दिन में ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. इसी बीच विधानसभा में कई प्रस्तावों को पारित भी किया गया तो कई प्रश्नों को लेकर हंगामा भी हुआ, लेकिन गुरुवार को विधानसभा पटल पर भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षक कैग ने अपनी रिपोर्ट भी रखी जिसमें टाइगरों की मौत का जिक्र किया गया.


बिजली के करंट से हुई थी तेंदुए  की मौत
टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में साल 2014 से 2018 तक के बीच 115 बाघों की मौत हुई है. इसमें सर्वाधिक 40 बाघों की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई है. बिजली के करंट से 16 बाघ और 21 तेदूंओ की मृत्यु हुई. मध्य प्रदेश में वन्य प्राणी संरक्षण और रहने के प्रबंधन पर कैग ने रिपोर्ट तैयार की है. हालांकि, 2018 की गणना में मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में 71 फीसदी की वृद्धि हुई और यह देश में सर्वाधिक 526 हो गए.


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2021 की तुलना में बाघों की संख्या में हुई है वृद्धि
वहीं विधानसभा पटल पर रखी केग की इस रिपोर्ट में बताए कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मृत्यु दर सर्वाधिक रही. वहीं 2014 से 2018 के बीच तेंदूओ और बाघों की जो मौत हुई है उसका कारण कैग रिपोर्ट में बीमारी डूबने प्राकृतिक या अज्ञात कारणों से हुई बताया है. सात तेदुओं की मृत्यु सड़क और रेल दुर्घटना के कारण हुई बताया है.


कैग ने रिपोर्ट में की ये अनुसंशा



  • बाघ संरक्षण योजना और प्रबंधन योजनाओं के प्रति गतिविधियों पर राशि के आवंटन और उपयोग की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित किया जाए.

  • जंगली जानवरों और रहवासियों की भलाई में बाधा ना आए.

  • शिकार और मौतों की अधिक घटनाओं के लिए सुरक्षा उपाय अपनाने हॉटस्पॉट की पहचान करना चाहिए.

  • विशेष बाघ संरक्षण बल की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाना  चाहिए.


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