Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी, विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. इन दिनों इस कड़ाके के ठंड में बड़ी संख्या में भक्त नाचते गाते मां नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं. हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में लोगों ने मां नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा में भाग लिया है, जिसमें अधिकतर भक्त खंडवा, खरगोन और बड़वानी के आसपास के क्षेत्र से हैं.


यह यात्रा कुछ साल पहले तक धार जिले के प्राचीन तीर्थ कोटेश्वर धाम से शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होती थी, लेकिन सरदार सरोवर बांध क्षेत्र में कोटेश्वर तीर्थ के डूब जाने के कारण यात्रा में बदलाव किया गया है. अब नए रूट के मुताबिक पिछले कुछ सालों से यात्रा बड़वानी जिले के तीर्थराज घाट से शुरू होती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि यह नर्मदा पंचकोशी यात्रा कोटेश्वर बड़वानी के नाम से चल रही है.


25 साल से चल रही है यह यात्रा
यात्रा को शुरू हुए कम से कम 25 साल हो गए हैं. यह यात्रा लगातार चलती आ रही है. कोरोना काल में भी कुछ चुनिंदा लोगों ने यह परिक्रमा की थी. यह यात्रा पांच दिवसीय होती है, जिसमें कम से कम 75 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है. इसमें प्रदेश और प्रदेश के बाहर से लोग सम्मिलित होते हैं. यहां आकर लोग यात्रा में भजन-कीर्तन करते हैं और पांच दिन एक परिवार के जैसे ही बिताते हैं. 


क्षेत्रवासियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए निकलती है यात्रा
वहीं लोगों ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य धर्म का प्रचार करना और नर्मदा मैया के प्रति आस्था है. पंडित रविंद्र भारतीय उज्जैन वाले के द्वारा यह यात्रा प्रसारित की गई है, जो सभी क्षेत्रवासियों के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए निकलती है. इस प्रकार की तकरीबन 48 यात्राएं हैं, जो मध्य प्रदेश में चल रही हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो नर्मदा के प्रति आस्था की वजह से ग्रामीणों ने नई यात्रा शुरू की है. 



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