New Year 2024: न्यू ईयर के वेलकम के लिए भोपाल पूरी तरह से तैयार है. राजधानी भोपाल में करीब 10 से 12 ऐसी जगह हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती हैं. जबकि भोपाल से 40 से 50 किलोमीटर की दूरी पर अनेक दार्शनिक स्थल हैं, जिनमें भोजपुर, सांची स्तूप, भीमबेटका, सीहोर का गणेश मंदिर आदि शामिल हैं. भोपाल में 15 दार्शनिक स्थल ऐसे हैं, जहां पर्यटक नए साल पर घूम सकते हैं.
इनमें अपर झील (बड़ा तालाब लेक व्यू), वन विहार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, निचली झील, भीमबेटका, गोहर महल, बिरला संग्रहालय, शौकत महल, जामा मस्जिद, मोती मस्जिद, पुरातत्व संग्रहालय, बोरी वन्यजीव अभ्यारण, रानी कमलापति पैलेस, ताल-उल-मस्जिद, भोजपुर, सीहोर का गणेश मंदिर आते हैं.
बड़ा तालाब
अपर झील (बड़ा तालाब लेक व्यू) भोपाल में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण झील है और इसे भोजताल के रूप में भी जाना जाता है. इसे देश की सबसे पुरानी झील होने का खिताब प्राप्त है. इसे बड़ा तालाब के नाम से भी जाना जाता है. बड़े तालाब में वोट क्लब अपर लेक के पूर्वी हिस्से में बनाया गया था और अब यहां कई तरह की वॉटर एक्टिविटी होती हैं, जिसमें पैरासेलिंग, कश्ती, पैडलिंग और राफ्टिंग शामिल हैं. यहां प्रतिदिन सैलानी आते हैं, लेकिन छुट्टी और नए साल के विशेष मौके पर यहां आने वाले लोगों की संख्या हजारों में होती है.
सांची स्तूप
राजधानी भोपाल से महज 46 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्तूप स्थित है. गुंबद के आकार का यह स्मारक 120 फीट चौड़ा और 54 फीट ऊंचा है. यूं तो यहां प्रतिदिन सैकड़ों सैलानी घूमने के लिए जाते हैं, लेकिन नए साल पर यहां सैलानियों की भीड़ हजारों में होती है.
भीमबेटका
भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर औबेदुल्लागंज के पास भीमबेटका स्थित है. यह 30 हजार साल पुराना बताया जाता है. इस स्मारक को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. माना जाता है यह महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है, इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा. भीमबेटका की गुफाओं को घूमने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं. यहां पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटक आते हैं.
बिड़ला संग्रहालय
भोपाल के मनमोहक दृश्यों में बिड़ला संग्रहालय भी एक है. सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यहां पर्यटक आते हैं. संग्रहालय बिड़ला मंदिर परिसर का एक हिस्सा है, जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर स्थापित है.
सफेद संगमरमर से निर्मित मोती मस्जिद
महिला सिकंदर जहान बेगम ने सन् 1862 में देश की सबसे दिलचस्प मस्जिद मोती मस्जिद का निर्माण कराया था. सुंदर सफेद संगमरमर से मोती मस्जिद तैयार की गई है. मस्जिद की वास्तुकला दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के समान है. स्मारक के चमकदार सफेद हिस्से ने इसे पर्ल मस्जिद नाम दिया. मस्जिद में एक भव्य आंगन है जहां की खिड़की से भोपाल शहर के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं.
शौकत महल
भोपाल शहर के इकबाल मैदान के बीचों बीच चौक क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर शौकत महल स्थित है. इस महल का निर्माण 1830 ई. में राज्य की प्रथम महिला शासिका नवाब कुदसिया बेगम ने कराया था. यह महल इस्लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है. यहां पश्चिमी वास्तु और इस्लामी वास्तु का नायाब संगम है.
वन विहार
बड़े तालाब के पास की पहाड़ी पर वन विहार स्थित है. साल 1981 में इस पहाड़ी के वनक्षेत्र का संरक्षण सघन रूप से शुरू हुआ और जल्द ही यह पहाड़ी हरी भरी होने लगी. 1983 को पहाड़ी और उसके आसपास के 445.21 हैक्टेयर क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर वन विहार का नाम दिया गया. वन विहार में बाघ, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घड़ियाल, कछुआ सहित विभिन्न प्रकार के सांप हैं.
भोपाल म्यूजियम
भोपाल में म्यूजियम भी स्थित है, इसे जनजातीय संग्रहालय कहते हैं. इस संग्रहालय में आदिवासी कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. यहां आदिवासियों के इस्तेमाल की हर छोटी बड़ी चीज मौजूद है. जनजातीय संग्रहालय की स्थापना राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स पर 6 जून 2013 को गई थी. जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश की बैगा, सहरिया, गोंड, भील, कोरकू, कोल और भारिया जनजातियों की झलकियां देखने को मिलती है. संग्रहालय में बैगा घर, गोंड स्थापत्य, भील घर, सहरिया, आंगन, मग रोहन, गोंड घर, पत्थर का घर, कोरकू घर बने हैं. संग्राहलय में आदिवासी बच्चों के खेल जैसे मछली पकड़ा, चौपड़, गिल्ली डंडा, बुड़वा, चक्ताक, गोंदरा, पोशंबा, घर-घर, पंच गुट्टा, गेड़ी, पिठ्टू, गूछू हुड़वा भी बना है.
भगवान शिव का प्राचीन मंदिर
भोपाल से 25 किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर मंदिर स्थित है. इसमें भगवान शिव की विशालकाय पिंडी है. यहां देश भर से ही श्रद्धालु भगवान दर्शनों के लिए आते हैं. मकर संक्राति और विशेष दिनों में यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. नए साल पर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे.