Ujjain News: उज्जैन में नवरात्रि पर तीन दशक बाद मां हरसिद्धि ने दिए मूल स्वरूप में दर्शन, भक्तों का लगा तांता
उज्जैन में नवरात्र पर्व के दौरान 32 साल बाद मां हरसिद्धि ने फिर अपने मूल स्वरूप में दर्शन दिए. हरसिद्धि माता द्वारा चोला छोड़ने की घटना श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.
उज्जैन: 51 शक्ति पीठ में शामिल उज्जैन के मां हरसिद्धि मंदिर में माता ने चोला छोड़कर एक बार फिर भक्तों को मूल स्वरूप में दर्शन दिए हैं. माता के मूल स्वरूप के दर्शन पाने के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. मंदिर के पुजारी लाला गिरी के मुताबिक रात करीब 1:30 बजे मां हरसिद्धि ने अपना चोला छोड़ दिया. गौरतलब है कि तीन दशक बाद यह घटना घटित हुई है. इससे पहले साल 1990 में मां हरसिद्धि ने अपना चोला छोड़कर मूल स्वरूप में दर्शन दिए थे. इसके बाद अब जाकर माता के मूल स्वरूप के दर्शन हुए हैं
माता के चोला छोड़ने की घटना को शुभ मान रहे पुजारी
वहीं नवरात्र पर्व के दौरान माता के चोला छोड़ने की घटना को लेकर भक्त और पुजारी से शुभ मान रहे हैं. मंदिर के रजत पुजारी बताते हैं कि माता द्वारा चोला छोड़ने के बाद हर बार चल समारोह निकालकर चोले को शिप्रा मैया में प्रवाहित किया जाता है. इस बार भी सोमवार को चल समारोह के माध्यम से माता का चोला नदी में प्रवाहित किया जाएगा.
हर कार्य सिद्ध करती है मां हरसिद्धि
मंदिर के पुजारी राजू गुरु बताते हैं कि माता हरसिद्धि हर कार्य को सिद्ध करती है. मंदिर आने वाले श्रद्धालु जो भी मनोकामना लेकर आते हैं उसे माता पूर्ण करती है हरसिद्धि मंदिर में नवरात्र पर्व के दौरान दूर-दूर से भक्त आते हैं. यह मंदिर 51 शक्ति पीठ में शामिल है. यहां पर माता की कोहनी गिरी थी.
कैसे होती है चोला छोड़ने की प्रक्रिया
आमतौर पर मंदिरों में धार्मिक आयोजनों विशेष पर्व और मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धालुओं व पुजारियों द्वारा भगवान को चोला चढ़ाया जाता है. इसमें सिंदूर, घी, तेल आदि का बार-बार प्रयोग होता है. इससे प्रतिमा पर काफी सालों में परत जम जाती है. पुजारी बताते हैं कि एक समय के बाद यहां पर मूर्ति से हट जाती है और फिर से मूर्ति मूल स्वरूप में लौट जाती है. इसे चोला छोड़ने की घटना कहा जाता है.
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