Ujjain: 500 करोड़ से ज्यादा का खर्च होने के बाद भी मैली रह गई शिप्रा, सूने पड़े हैं घाट
Ujjain News: शिप्रा नदी का जल आचमन करने योग्य नहीं है. यही वजह है कि शिप्रा नदी के अधिकांश घाट सूने पड़े हैं. नदी को साफ करने के सभी प्रसास विफल साबित होते हुए नजर आ रहे हैं.
Madhya pradesh Shipra River Pollution Ujjain: नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना (Narmada-Shipra Link Scheme) में साढ़े चार सौ करोड़, कान्ह नदी के दूषित पानी को डायवर्ट करने के लिए 100 करोड़, ऐसी कई योजनाएं शिप्रा नदी (Shipra River) को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए क्रियान्वित हो चुकी हैं. मगर आज भी शिप्रा नदी का जल आचमन करने योग्य नहीं है. यही वजह है कि शिप्रा नदी के अधिकांश घाट सूने पड़े हैं. कुल मिलाकर शिप्रा नदी को साफ करने के सभी प्रसास विफल साबित होते हुए नजर आ रहे हैं.
कहते हैं देवताओं की दिशा में बहने वाली नदी
उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का महत्व स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में मिलता है. इस नदी में स्नान और दान धर्म का फल गंगा नदी से कम नहीं है. उत्तरवाहिनी होने की वजह से शिप्रा नदी को देवताओं की दिशा में बहने वाली नदी कहा जाता है. इसी नदी में अमृत की बूंदें भी गिरी थी. यही वजह है कि 12 साल में एक बार इसी शिप्रा नदी के किनारों पर सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है.
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नदी का जल दूषित हो गया है
सरकार भले ही बीजेपी की रही हो या फिर कांग्रेस की, सभी ने शिप्रा नदी की दशा और दिशा सुधारने के लिए बड़े-बड़े वादे किए, मगर आज भी शिप्रा नदी की स्थिति को लेकर पंडित पुजारी और आम श्रद्धालु चिंता व्यक्त करते हैं. पंडित राम गुरु के मुताबिक शिप्रा नदी का जल काफी दूषित हो गया है. पंचक्रोसी यात्रियों का आगमन शुरू हो गया है. ऐसी स्थिति में नर्मदा का जल छोड़ा जाना बेहद जरूरी है. प्रतिदिन उज्जैन में हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं. ये श्रद्धालु शिप्रा नदी के तट पर घूमने तो आते हैं मगर जल की हालत देखकर स्नान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.
फिल्टर प्लांट लगाने की मांग
पंडित अमर गुरु के मुताबिक शिप्रा नदी में वाटर प्लांट लगाने की आवश्यकता है जो पानी को लगातार शुद्ध करता रहे. इसके अलावा नदी में कई स्थानों पर फव्वारे भी लगाए जाने चाहिए. वर्तमान में कुछ स्थानों पर फव्वारे लगे हैं जो कि बंद पड़े हुए हैं. इसे लेकर भी लगातार शिकायतें की जा रही हैं मगर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. यही वजह है कि नदी का जल लगातार प्रदूषित होता जा रहा है.
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