(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ujjain News : 20 साल में भी नहीं सुधरी शिप्रा नदी की दशा, 650 करोड़ हो गए खर्च
Ujjain News : शिप्रा नदी पिछले 20 साल से उज्जैन की राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है. यहां पिछले 20 सालों में 650 करोड़ रुपए खर्च हुए लेकिन नदी की हालत अब भी बेहद गंभीर है.
Ujjain News : उज्जैन की पुण्य सलिल शिप्रा नदी पर पिछले 20 सालों में 650 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन अब भी शिप्रा नदी की हालत बेहद गंभीर है. शिप्रा नदी का जल स्नान तो ठीक आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. इसे लेकर साधु संत ही नहीं बल्कि रामघाट के पंडे पुजारी भी चिंतित है.
20 साल से राजनीति का केंद्र
उल्लेखनीय है कि उज्जैन की शिप्रा नदी के प्रदूषण को लेकर साधु-संतों ने मोर्चा खोल रखा है. साधु-संतों द्वारा लगातार शिप्रा नदी के शुद्धिकरण की मांग उठाई जा रही है. शिप्रा शुद्धिकरण की बात की जाए तो पिछले 20 सालों से उज्जैन की राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है और बयानबाजी में कई बार मुद्दा उठ चुका है. लेकिन आज तक शिप्रा नदी की हालत दैयनीय है. उज्जैन में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु तर्पण और पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. यहां पर तर्पण के दौरान पवित्र शिप्रा नदी में स्नान का विशेष महत्व है. मगर शिप्रा की हालत देखकर श्रद्धालु भी पीछे हट जाते हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार ने शिप्रा शुद्धिकरण पर राशि खर्च नहीं की है अगर नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना की बात की जाए तो शिप्रा का जल प्रवाहमान करने के लिए साढ़े चार सौ करोड़ रुपए की योजना को अमलीजामा पहनाया गया.
श्रद्धालु स्नान भी नहीं करना चाहते
इसके अलावा कान्ह नदी का प्रदूषित जल शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए 100 करोड़ रुपए की डायवर्शन लाइन डाली गई. इसके अतिरिक्त अन्य कई प्रयोजन के माध्यम से 100 करोड रुपए की राशि अलग से खर्च की गई. इस प्रकार शिप्रा शुद्धिकरण पर अभी तक 650 करोड़ रूपए खर्च हो चुके है मगर शिप्रा की हालत काफी बदत्तर है. घाट के पंडित अमर डिब्बेवाला बताते हैं कि श्रद्धालु शिप्रा नदी का जल आचमन करने से पहले कई बार सोचते हैं. इसके अलावा स्नान करने के स्थान पर जल के छींटे डाल कर पूजा अर्चना कर रहे हैं.
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