Madhya Pradesh Budget Session: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा के बजट सत्र (Assembly Budget Session) का आठवां दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया. इसका मूल कारण पुरानी पेंशन व्यवस्था को लेकर विपक्ष द्वारा पूछे गए सवाल बताए जा रहे हैं. बुधवार को विपक्ष ने पुरजोर तैयारी के साथ सदन में  पुरानी पेंशन व्यवस्था के सवाल पर सरकार को घेरा.


इस संबंध में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जवाब दिया. अपने जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है. इसके बाद कांग्रेस (Congress) विधायकों के तेवर बुलंद हुए और उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया.


कमलनाथ बोले- 'सरकार कर्मचारियों की वजह से ही चलती है'


इसके बाद पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा  "कोई भी सरकार कर्मचारियों की वजह से ही चलती है. उनके साथ अन्याय स्वीकार नहीं करेंगे. जब हमारी सरकार सत्ता में आएगी तो हम सबसे पहले पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेंगे." वहीं कांग्रेस के कई नेताओं ने पुरानी पेंशन व्यवस्था के संबंध में सदन के अंदर और बाहर जमकर नारेबाजी की और सरकार को घेरने का प्रयास किया. इस संबंध में पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी सरकार को निर्दयी तक कह डाला.


साथ ही नेता प्रतिपक्ष और  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह ने कहा कि आपके पास चीतों के लिए 3000 करोड़ हैं. विकास यात्रा में लुटाने के लिए पैसे हैं, लेकिन पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने के लिए आपके पास पैसे नहीं है.


कांग्रेस ने किया वॉकआउट


उन्होंने कहा कि यह सरकार कर्मचारी विरोधी है इसलिए कांग्रेस सदन का बहिष्कार करती है और वॉकआउट कर रही है. साथ ही साथ नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने वित्त मंत्री से पूछा कि क्या आप पूरक बजट में पुरानी पेंशन व्यवस्था लेकर आ रहे  हैं . इस पर भी वित्त मंत्री ने साफ मना कर दिया. लगातार सदन के अंदर पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली को लेकर माहौल गर्म बना रहा.


आखिरकार विपक्ष के विधायकों ने सदन का वॉकआउट कर विरोध दर्ज कराया. मध्य प्रदेश के अंदर हो रही लगातार घोषणाओं के बीच विपक्ष ने पुरानी पेंशन बहाली की व्यवस्था को मुख्य मुद्दे के रूप में चुन लिया है क्योंकि कहीं ना कहीं कांग्रेस को लगता है कि यदि कर्मचारी उनके साथ हो गए तो सत्ता का रास्ता आसान हो जाएगा. वहीं अभी तक तो वर्तमान सरकार का पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने को लेकर कोई रुख स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा है. 


बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता या मंत्री पुरानी पेंशन व्यवस्था को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहा है. बीजेपी सरकार कर्मचारियों का विरोध नहीं करना चाहती है, लेकिन वो पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने को लेकर कोई ठोस आश्वासन भी नहीं दे रही है. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश की राजनीति में कर्मचारियों का वोट किस ओर जाता दिखाई देता है.


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