Indore Theater Museum: भारतीय इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम के बाद हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) जगत में एक क्रांति आई जिसने स्वर्ण काल को जन्म दिया. उस दौर के लेखक, निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री, गायक की मेहनत और सफलता को इतिहास के पन्नो में दर्ज किया गया. शुरुआत हिंदी सिनेमाघर की ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों से हुई थी और इस शुरुआत के बाद जैसे बॉलीवुड (Bollywood) में सितारों की बरसात होने लगी. एक के बाद एक हिट फिल्मों ने बॉलीवुड को एक अलग पहचान दिलाई. इस पहचान और चमक की जद में कई लोग आए, ऐसे ही एक शख्स हैं इंदौर के कृष्ण विहार कॉलोनी में रहने वाले विनोद जोशी.


2015 में आया विचार 
विनोद जोशी (Vinod Joshi) पेशे से पुस्तकों का व्यापार करते हैं लेकिन कहते हैं शौक एक बड़ी चीज है. इन्हें बचपन से ही फिल्में देखने का शौक था. लेकिन, गुजरते वक्त के साथ जिस तरह से सिंगल स्क्रीन टॉकीज का क्रेज कम हुआ और एक के बाद एक टॉकीज बंद होने लगे तब जोशी के मन में कुछ अलग करने का विचार आया. साल 2015 में विनोद जोशी ने एक संग्रहालय खोलने की शुरुआत की. जोशी कहते हैं कि, ''सिनेमा के तो कई संग्राहालय होंगे लेकिन सिनेमाघर संग्रहालय कही नहीं देखा गया, कोशिश यही रही कि सिनेमाघर की पहचान बनी रहे.'' यही कारण था कि, कोरोना काल आते-आते विनोद जोशी ने सिनेमाघर संग्रहित कर दिया.




सरकार से है ये मांग 
संग्रहालय को देखने के लिए आसपास के लोग आते हैं और आश्चर्यचकित भी होते है. गेट पर पुरानी फिल्मों की टिकटों की तर्ज संग्रहालय को देखने के लिए टिकट दर 1 रुपए 60 पैसे रखा गया है. शहर में 30 टॉकीज हुआ करते थे जिनके पुराने समय के टिकिट भी संग्रहित किए गए हैं. यहां पुराने टॉकीज के डेमो भी लगाए गए हैं, जिस तरह से जो भी फिल्म होती थी तो फिल्मों की थीम पर टॉकीजों को संवारा जाता था यहां वो भी देखने को मिलेगा. विनोद जोशी प्रदेश सरकार से चाहते हैं कि जो शहर के अब 4 सिंगल स्क्रीन टॉकीज बचे हुए हैं उनके लिए कुछ ऐसा किया जाए कि वो अस्तित्व में रह सकें. जोशी ने बताया कि उन्होंने किराए के मकान में संग्रहालय बनाया है, अगर सरकार कहीं बड़ी जगह मुहैया करा दे तो इसे बड़ा रूप दिया जा सकता है.




विकास की दौड़ में शामिल है शहर 
फिलहाल, शहर जिस तरह से विकसित हो रहा है तो कहीं ना कहीं बॉलीवुड के बड़े कलाकारों की नजर भी इंदौर पर अब पढ़ चुकी है. संभव है कि, आने वाले दिनों में इंदौर शहर में इसके लिए भी कुछ नए काम किए जाएं. हालांकि, अभी तक सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई मंशा व्यक्त नहीं की गई है.


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