MP News: मध्य प्रदेश में भी पेसा अधिनियम, जानें- PESA एक्ट लागू होने से आदिवासियों को मिलेंगे कौन से अधिकार?
पेसा एक्ट के तहत आदिवासी समुदाय की पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था को मान्यता दी गई है. केंद्र सरकार ने पेसा अधिनियम 1996 कानून लागू किया था. एमपी से पहले देश के 6 राज्यों में पेसा एक्ट लागू किया गया है.
Pesa Act In MP: मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट (PESA ACT) लागू हो गया है. सामान्य तौर पर सभी के मन में यह जिज्ञासा है कि यह पेसा एक्ट आखिर है क्या? साथ ही इससे किसको फायदा होने वाला है? सरल शब्दों में कहें तो यह आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन पर हक देने का कानून है, जो मध्य प्रदेश से पहले देश के छह राज्यों में लागू हो चुका है. इस एक्ट के माध्यम से ग्रामसभा को शक्तिशाली बनाया जा रहा है.
आइये, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की जुबानी ही समझते है कि पेसा एक्ट के तहत क्या-क्या अधिकार आदिवासी समुदाय को मिलेंगे. शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को शहडोल में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की उपस्थिति में पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा करते हुए चेतावनी भी दी कि जो नियम विरुद्ध काम करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
- मेले और बाजार का प्रबंध, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र ठीक चलें, आंगनबाड़ी में बच्चों को पोषण आहार मिले, आश्रम शालाएं और छात्रावास बेहतर तरीके से चलें, यह सब काम ग्रामसभा देखेगी.
- शराब की नईं दुकानें बिना ग्रामसभा की अनुमति के नहीं खुलेंगी. शराब या भांग की दुकान अस्पताल, स्कूल या धार्मिक स्थान के पास है तो ऐसी दुकानें वहां से हटाने की अनुशंसा करने का अधिकार भी ग्रामसभा को होगा.
- गांव से अगर काम के लिए युवक-युवती या किसी अन्य को ले जाया जाता है तो उसे पहले ग्रामसभा को बताना पड़ेगा कि ले जाने वाला कौन है, कहां ले जा रहा है ताकि जरूरत के वक्त उनकी मदद हो सकें. बिना बताए ले जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
- तेंदुपत्ता तोड़ने और बेचने का अधिकार भी ग्रामसभाओं को दिया जाएगा.
- गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए आने वाले धन से कौन सा काम किया जायेगा, इसे पंचायत सचिव नहीं बल्कि ग्रामसभा तय करेगी.
- गांव में तालाबों का प्रबंध अब ग्राम सभा करेगी. चाहें सिंघाड़े लगाएं या मछली पालें और उससे जो आय होगी वह भी गांव के भाई-बहनों को प्राप्त होगी.
- हर साल गांव की जमीन, उसका नक्शा, वनक्षेत्र का नक्शा, खसरे की नकल, पटवारी को या बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखानी होगी. ताकि, जमीनों में हेर-फेर न हो. नामों में गलती है तो यह ग्रामसभा को ठीक कराने का अधिकार होगा.
- किसी भी प्रोजेक्ट, बांध या किसी काम के लिए गांव की जमीन ली जाती है, तो उसके लिए अब ग्रामसभा की अनुमति जरूरी होगी.
- गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करें तो ग्रामसभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी. यदि ग्राम सभा को यह पता चलता है कि वह उस जमीन पर गैर आदिवासी का कब्जा करना चाहता है तो वह फिर से जनजातीय भाई-बहनों को वापस दिलवाएगी.
- हर गांव में एक शांति और विवाद निवारण समिति होगी. यह समिति परंपरागत पद्धति से गांव के छोटे-मोटे विवादों का निराकरण कराएगी. इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी.
- यदि ग्राम के किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो तो इसकी सूचना पुलिस थाने द्वारा तत्काल गांव की शांति और विवाद निवारण समिति को दी जाएगी.
पेसा कानून क्या है?
यहां बता दें कि पेसा एक्ट के तहत आदिवासी समुदाय की पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था को मान्यता दी गई है. केंद्र सरकार ने पेसा अधिनियम 1996 कानून लागू किया था. मध्य प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता और झाबुआ के सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में समिति बनी थी, उसकी अनुशंसा पर ही यह मॉडल कानून बना था. यह बात अलग है कि 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था लेकिन देश में सबसे अधिक आदिवासियों के घर यानी मध्य प्रदेश में कानून लागू करने में 27 साल लग गए. इससे पहले देश के 6 राज्यों हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र ने पेसा कानून बनाए गए हैं. देश में जनजातीय समुदाय की आबादी 10 करोड़ है और इसमें से डेढ़ करोड़ से ज्यादा मध्य प्रदेश में हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि पेसा कानून किसी के खिलाफ नहीं है. यह मध्य प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉक में लागू होगा. यह शहरों में नहीं बल्कि गांव में लागू होगा. ग्रामसभाओं में जनजातीय समुदाय के अलावा वहां रहने वाले अन्य लोग भी सदस्य रहेंगे.