Mahakal News: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल ज्योतिर्लिंग में क्षरण की रिपोर्ट के बाद धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने कहा है कि पंचद्रव्य से होने वाले अभिषेक के कारण ही सबसे ज्यादा नुकसान है. सोमनाथ जैसे दूर से और पानी से अभिषेक होने लगे तो यह सुरक्षित हो जाएगा. हम पूरी कोशिश करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एएसआई और जीएसआई जो रिपोर्ट दे रहे हैं, उसके अनुसार आगे काम करें.


ओंकारेश्वर जैसा नहीं होने देंगे


इससे पहले उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा था कि ज्योतिर्लिंग को हो रहे नुकसान के बारे में कलेक्टर से बात की है. जल्द ही रूपरेखा बनाएंगे. सीएम को भी अवगत कराएंगे. ओंकारेश्वर जैसी स्थिति नहीं बनने देंगे. वहीं प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा था कि इसे संरक्षित रखने के सभी प्रयास किए जाएंगे.


महाकाल शिवलिंग क्षरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था. इसमें महाकाल ज्योतिर्लिंग में जो जल चढ़ाया जाता है,उसका पीएच भी निर्धारित किया गया था. इसके साथ ही कई सुरक्षा नियमों के पालन करने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की कमेटी ने भी शिवलिंग के क्षरण को लेकर चिंता जताई. गर्भगृह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की सलाह दी गई थी. 


क्यो हो रहा है क्षरण


शिवलिंग पर रोजाना भस्म रगड़ने, उसे स्पर्श करने और जल चढ़ाने की वजह से उसमें हो रहा क्षरण तेजी से बढ़ रहा है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की समिति ने सालाना निरीक्षण के बाद बनाई गई रिपोर्ट को देखकर इस विषय पर चिंता जाहिर की है.रिपोर्ट के मुताबिक शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली पूजन सामग्री के कण उसी में चिपके रह जाते हैं. इस वजह से बैक्टीरिया को पनपने के लिए मीडियम मिलता है, जो आगे जाकर छिद्र का निर्माण करते हैं.


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